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IIT खड़गपुर दीक्षांत समारोह में PM मोदी ने छात्रों को दिए सफलता के ये 3 मंत्र, आप भी जानें

 


नई दिल्लीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज आईआईटी (IIT) खड़गपुर के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने नए इको सिस्टम में नए लीडरशिप की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज का दिन आईआईटी खड़गपुर के सिर्फ उन विद्यार्थियों के लिए अहम नहीं है, जिनकों डिग्री मिल रही है। आज का दिन नए भारत के निर्माण के लिए भी उतना ही अहम है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आपको लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए 'स्टार्टअप' शुरू करने होंगे। उन्होंने आगे कहा कि आपको 'आत्म-जागरूकता, आत्म-विश्वास और निस्वार्थता' पर काम करना होगा, आप अपने सामर्थ्य को पहचानकर आगे बढ़ें, पूरे आत्मविश्वास से आगे बढ़ें, निस्वार्थ भाव से आगे बढ़ें। आप भारत के 130 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से कहा कि इंजीनियर होने के नाते एक क्षमता आप में विकसित होती है और वो है चीजों को पेटर्न से पेटेंट तक ले जाने की क्षमता। यानि एक तरह से आपमें विषयों को ज्यादा विस्तार से देखने की दृष्टि होती है।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि 'आप सभी, साइंस, टेक्नॉलॉजी और इनोवेशन के जिस मार्ग पर चले हैं, वहां जल्दबाज़ी के लिए कोई स्थान नहीं है। आपने जो सोचा है, आप जिस इनोवेशन पर काम कर रहे हैं, संभव है उसमें आपको पूरी सफलता ना मिले। लेकिन आपकी उस असफलता को भी सफलता ही माना जाएगा, क्योंकि आप उससे भी कुछ सीखेंगे।'

पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि जीवन के जिस मार्ग पर अब आप आगे बढ़ रहे हैं, उसमें निश्चित तौर पर आपके सामने कई सवाल भी आएंगे। ये रास्ता सही है, गलत है, नुकसान तो नहीं हो जाएगा, समय बर्बाद तो नहीं हो जाएगा? ऐसे बहुत से सवाल आएंगे। इन सवालों का उत्तर है- सेल्फ थ्री यानी सेल्फ अवरनेस, सेल्फ कॉन्फिडेंस और सेल्फनेस। आप अपने सामर्थ्य को पहचानकर आगे बढ़ें, पूरे आत्मविश्वास से आगे बढ़ें, निस्वार्थ भाव से आगे बढ़ें।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि 'इंटरनेट ऑफ थिंग्स' हो या फिर मॉडर्न कंस्ट्रक्शन टेक्नॉलॉजी, IIT खड़गपुर प्रशंसनीय काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना से लड़ाई में भी आपके सॉफ्टवेयर समाधान देश के काम आ रहे हैं। अब आपको हेल्थ टेक के फ्यूचरिस्टिक सोल्यूशंस को लेकर भी तेजी से काम करना है। उन्होंने उत्तरांखड में ग्लेशियर टूटने के कारण हुई त्रासदी का जिक्र करते हुए कहा कि 'हमें आपदा का सामना करने में समक्ष बुनियादे ढांचे में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।'