सिंगरौली मध्य प्रदेश। सिंगरौली जिले के लिए पहली फव्वारा आधारित और सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना शासन की फाइलों में लगभग एक वर्ष से कैद है। यह परियोजना बैढ़न और माडा दो तहसीलों के बड़े भू भाग को सिंचाई की सौगात देने वाली साबित होने जा रही है। मगर भोपाल में शासन के मुख्यालय से इसकी पत्रावली बंद है और धरातल पर काम शुरू होने के लिए इस माइक्रो सिंचाई परियोजना को शासन की हरी झंडी भर की देर है। हालांकि मंजूरी के बाद इस परियोजना का काम शुरू होने से पूरा होने के बीच लगभग डेढ़ वर्ष का समय भी लगना है। बात रिहंद माइक्रो सिंचाई परियोजना से जुडी है।
बताया गया कि शासन की ओर से स्थाई जल उपलब्धता वाले क्षेत्र में कम पानी वाली योजना बनाए जाने के निर्देश पर इस जिले के लिए पहली फव्वारा आधारित सिंचाई परियोजना की कसरत चली। इसके तहत रिहंद डैम में पूरे वर्ष पानी की उपलब्धता के आधार पर स्थानीय जल संसाधन विभाग की ओर से रिहंद के पानी का सिंचाई में उपयोग करने के लिए करीब डेढ़ वर्ष पहले इस परियोजना का खाका बना।
बताया गया कि इसके बाद हर पहलू का अध्ययन करने के बाद रिहंद माइक्रो सिंचाई परियोजना के लिए कागजी काम शुरू किया गया और लगभग छह माह आकलन के बाद इस सिंचाई परियोजना ने कागजों में आकर लिया। खास बात है कि यह योजना अन्य पुरातन प्रणाली वाली किसी भी योजना के मुकाबले किफायती होगी। इसका कारण परियोजना के लिए निर्माण व अन्य व्यवस्था की कम जरूरत होगी। इस प्रकार अपेक्षाकृत कम लागत वाली इस परियोजना का ड्राफ्ट व प्रस्ताव लगभग एक वर्ष पहले यहां से शासन को भेजा गया।
अब हालत यह है कि लगभग एक वर्ष से इस परियोजना का प्रस्ताव शासन स्तर पर मंजूरी का इंतजार कर रहा है पर सरकारी प्रक्रिया की सुस्ती के चलते मामला आगे नहीं बढ़ रहा।
बताया गया कि परियोजना की विशेषता इसमें शामिल समूचे क्षेत्र में फव्वारा पद्धति से सिंचाई होगी। इससे कम पानी से भी भरपूर फसल ली जा सकेगी। इस परियोजना से जिले की 38 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचाई का लाभ दिया जाना है। जिले में माडा व बैढ़न तहसीलों के 213 गांवों को इसका लाभ मिलेगा।
ड्राफ्ट के अनुसार परियोजना :
ड्राफ्ट के अनुसार परियोजना के लिए गांव बंधोरा के पास स्टोरेज टैंक का निर्माण किया जाएगा। इसके निकट ही पंप हाउस बनेगा, जिसके जरिए रिहंद डैम का पानी टैंक में संकलित होगा और वहां से पाइप लाइन के जरिए पानी खेतों तक पहुंचाया जाएगा। इसलिए इस परियोजना को एक वर्ष से मंजूरी के इंतजार है ताकि माडा व बैढ़न तहसीलों का सिंचाई के माध्यम से कायाकल्प हो सके। यह भी सामने आया कि इस परियोजना को लेकर स्थानीय जन प्रतिनिधि स्तर पर भी उदासीनता छाई है। इसलिए भी बात आगे नहीं बढ़ रही।