पट्टे की भूमि बिना अनुमति के विक्रय करने के कारण शासकीय भूमि में दर्ज करने का जारी हुआ आदेश - Jai Bharat Express

Jai Bharat Express

Jaibharatexpress.com@gmail.com

Breaking

पट्टे की भूमि बिना अनुमति के विक्रय करने के कारण शासकीय भूमि में दर्ज करने का जारी हुआ आदेश

पट्टा भूमि क्या है? पट्टा भूमि भूमि का एक टुकड़ा है जिस पर किसी का कोई विशेष अधिकार नहीं है - अर्थात कोई भी किसी विशेष तरीके से इसका मालिक नहीं है। इसलिए ऐसी भूमि पर सरकार का अधिकार है यदि कोई और नहीं करता है। इसलिए, गरीब पट्टा किसानों को यह भूमि सरकार से एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए प्राप्त होती है।





मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 यथासंशोधित 2018 के प्रावधान निम्नानुसार मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 यथासंशोधित 2018 की धारा 165(7-ख) में स्पष्ट प्रावधान है कि शासन से पट्टे पर दी गई भूमि,भले ही धारा 158(3) के तहत पट्टेदार को भूमिस्वामी हक ही क्यों ना प्राप्त हो, ऐसी भूमि का अंतरण कलेक्टर की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है।






जबलपुर MP |पट्टे की भूमि बिना अनुमति के विक्रय करने पर कलेक्‍टर एवं जिला दण्‍डाधिकारी दीपक सक्‍सेना ने अपर कलेक्‍टर एवं अनुभागीय राजस्‍व न्‍यायालय के प्रतिवेदन के आधार पर तहसील जबलपुर अंतर्गत ग्राम नयागांव पटवारी हल्का चौरई के ख.नं. 213 रकबा 2.00 हेक्टेयर भूमि से संबंधित प्रकरण की सुनवाई की... प्रकरण श्रीमती माया सिंह पति श्री पुष्पेन्द्र सिंह, निवासी शक्ति नगर, शिवाजी चौक, 90 क्वार्टर के पास, जिला जबलपुर द्वारा ग्राम नयागांव रा.नि.मं. बरगी स्थित भूमि ख.नं. 213 रकबा 2.000 हेक्टेयर, भूमि से संबंधित है। आवेदिका नें अहस्तांतरणीय की प्रविष्टि त्रुटिपूर्ण बताते हुए खसरे से विलोपित किए जाने का आवेदन प्रस्तुत किया गया था। अनुविभागीय अधिकारी द्वारा उक्त भूमि में शासन का हित निहित होने के कारण न्यायालय कलेक्टर जबलपुर में प्रस्तुत किया गया। उक्त विषय पर मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 यथासंशोधित 2018 के प्रावधान निम्नानुसार मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 यथासंशोधित 2018 की धारा 165(7-ख) में स्पष्ट प्रावधान है कि शासन से पट्टे पर दी गई भूमि, भले ही धारा 158(3) के तहत पट्टेदार को भूमिस्वामी हक ही क्यों ना प्राप्त हो, ऐसी भूमि का अंतरण कलेक्टर की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है।




इस प्रकरण में परीक्षण में आवेदित भूमि का मूल ख.नं. 126/1, 126/2 रकबा क्रमशः 202.585, 0.162 हेक्टे. होकर वर्ष 1979-80 से 1980-81 में भूमि सरकार मद पहाड़ चट्टान दर्ज थी। इस प्रकार भूमि शासकीय दर्ज थी, जिसका मद पहाड़-चट्टान था। जिसमें प्रभाबाई पति छोटेलाल साहू द्वारा कब्जा किया जाना उल्लेखित था। वर्ष 1988-89 से 1989-90 में भूमि स्वामी हक में दर्ज हुई किन्तु बेजा कब्जेदार से भूमि स्वामी हक में किस प्रकार दर्ज हुई इस संबंध में कोई जानकारी संलग्न प्रस्तुत नही की गई है। इस प्रकार जब वैध रूप से शासन से भूमि प्राप्त होना ही प्रमाणित नहीं है तो भूमिस्वामी हक प्राप्त होने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होने पर एवं भूमि विक्रय किये जाने के पूर्व कलेक्टर की अनुमति नहीं होने पर प्रभाबाई पति छोटेलाल, आरती जोजे तेजप्रकाश, विकास कुमार वल्द नरेन्द्र कुमार गुप्ता का स्वत्व ही अवैधानिक पाया गया और शासकीय मद में दर्ज करने का आदेश दिया गया।


इसके अतिरिक्त अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) जबलपुर को उक्त पुराना खसरा नंबर 126/1 एवं 126/2 शासकीय मद पहाड़ चट्टान की भूमि के वर्तमान नवीन नंबर के संबंध में जाँच कराई जाकर प्रतिवेदन सहित प्रकरण तैयार कर वैधानिक कार्यवाही किए जाने हेतु निर्देशित किया गया है।


क्या पट्टे की जमीन बेच सकते हैं?


पट्टा भूमि क्या है?

पट्टा भूमि भूमि का एक टुकड़ा है जिस पर किसी का कोई विशेष अधिकार नहीं है - अर्थात कोई भी किसी विशेष तरीके से इसका मालिक नहीं है। इसलिए ऐसी भूमि पर सरकार का अधिकार है यदि कोई और नहीं करता है। इसलिए, गरीब पट्टा किसानों को यह भूमि सरकार से एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए प्राप्त होती है। पट्टा भूमि पट्टे पर दी गई भूमि है। यद्यपि आप पट्टा भूमि का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन आप इसके स्वामी नहीं हैं। हालाँकि, इसके लिए एक और प्रतिबंध है। पट्टा भूमि का उपयोग केवल उस भूमि के विशिष्ट उद्देश्य के लिए किया जा सकता है जिसे आपको पट्टे पर दिया गया है।

पट्टा किस प्रकार की भूमि के लिए दिया जाता है?


सरकार आमतौर पर कृषि, वानिकी, मछली पालन या आवासीय भूमि के लिए पट्टा भूमि देती है। हालाँकि, सरकार इस उद्देश्य को निर्धारित करती है, और भूमि का उपयोग केवल उसी उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए जिसके लिए इसे प्रदान किया गया था। 

क्या पट्टे की जमीन बेच सकते हैं?


ज्यादातर समय, बहुत सारे लोग आश्चर्य करते हैं कि पट्टा भूमि बेची जा सकती है या नहीं। चूंकि पट्टा भूमि का उपयोग करने वाले व्यक्ति उसके स्वामी नहीं होते हैं। इस वजह से वे एक पट्टा जमीन नहीं बेच सकते हैं। वे पट्टा भूमि का उपयोग केवल उसी के लिए कर सकते हैं जिसके लिए सरकार कहती है कि इसका उपयोग किया जाना चाहिए। अधिकांश समय पट्टा भूमि को खरीदना या बेचना अवैध होता है।