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बाबरी केस में बरी होने पर बोले लालकृष्ण आडवाणी- अब श्री राम मंदिर निर्माण पूरा होते देखने की इच्छा

 


अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा विध्वंस केस में सीबीआई की विशेष अदालत से बरी होने पर पूर्व उप प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने प्रसन्नता व्यक्त की है।

उन्होंने जय श्री राम कहकर फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि अब वह करोड़ों देशवासियों की तरह अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर का निर्माण पूरा होते देखना चाहते हैं। लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, "स्पेशल कोर्ट का निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण है, जब ये समाचार सुना तो जय श्री राम कहकर इसका स्वागत किया। हम सबके लिए बहुत खुशी का दिन है।"

भाजपा के अति वरिष्ठ नेता आडवाणी ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘विशेष अदालत का आज का जो निर्णय हुआ है वह अत्यंत महत्वपूर्ण है और वह हम सबके लिए खुशी का प्रसंग है। जब हमने अदालत का निर्णय सुना तो हमने जय श्री राम का नारा लगाकर इसका स्वागत किया।’’  बाद में एक बयान जारी कर उन्होंने कहा, ‘‘यह निर्णय उन्हीं अन्य फैसलों के पदचिह्नों पर है जिसने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के उनके सपने का मार्ग प्रशस्त किया।’’    

अदालत के फैसले के बाद 92 वर्षीय आडवाणी अपने कमरे से बाहर निकले और ‘जय श्री राम’ का नारा लगाते हुए मीडिया का अभिवादन किया। अदालत जब अपना फैसला सुना रही थी उस वक्त आडवाणी अपने परिवार के सदस्यों के साथ टेलीविजन देख रहे थे। उनकी पुत्री प्रतिभा आडवाणी उनकी हाथ पकड़े थीं।

आडवाणी ने सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं, नेताओं और उन सभी का आभार जताया, जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन में भूमिका निभाई। लालकृष्ण आडवाणी ने केस लड़ने वाली अपनी लीगल टीम के महिपाल, अनुराग अहलूवालिया के योगदान की सराहना की।

इस मामले के एक अन्य मुख्य आरोपी डॉ. जोशी ने न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक बताया और कहा , ‘‘इससे प्रमाणित हुआ है कि छह दिसम्बर की अयोध्या की घटना में कोई षड्यां नहीं था । हमारा कार्यक्रम और रैली षड्यां का हिस्सा नहीं था। सभी लोग राम मंदिर के निर्माण को लेकर अब उत्साहित हैं।’’

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि लखनऊ की विशेष अदालत द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लाल कृष्ण आडवानी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती समेत 32 लोगों के किसी भी षड्यां में शामिल न होने के निर्णय का वह स्वागत करते हैं। इस निर्णय से यह साबित हुआ है कि देर से ही सही मगर न्याय  की जीत हुयी है ।

बता दें कि छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा विध्वंस मामले की 28 वर्षों तक चली सुनवाई के बाद बुधवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने इस आपराधिक मामले में फैसला सुनाया। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एस के यादव ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है।

कोर्ट ने कहा कि विवादित ढांचा विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। सिर्फ तस्वीरों से आरोपियों के घटना में शामिल होने का सबूत नहीं मिल जाता।