धारा 66ए को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जारी किया नोटिस, 2015 में रद्द होने के बाद पूछा अहम सवाल - Jai Bharat Express

Jai Bharat Express

Jaibharatexpress.com@gmail.com

Breaking

धारा 66ए को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जारी किया नोटिस, 2015 में रद्द होने के बाद पूछा अहम सवाल



सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आईटी एक्ट की धारा 66ए के इस्तेमाल को लेकर केंद्र सरकार से सवाल पूछा है और नोटिस जारी करते हुए कहा कि अभी भी क्यों हो रहा है इसका इस्तेमाल। जबकि 2015 में ही आईटी एक्ट की धारा 66ए को रद्द कर दिया गया था।

कोर्ट ने जारी किया नोटिस

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि साल 2015 में रद्द हो चुकी धारा 66ए के अंतर्गत हो रही कार्रवाई अद्भुत है, जो चल रहा है भयानक है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जिला और सभी हाईकोर्ट से धारा 66ए के अंतर्गत लंबित मामलों की जानकारी मांगी है।

जज ने कहा ये मामला चौंकाने वाला

धारा 66ए के इस्तेमाल पर केंद्र को नोटिस जारी किया गया है। जिसे कई साल पहले खत्म कर दिया गया था। न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह चौंकाने वाला है। न्यायमूर्ति नरीमन ने सुनवाई के दौरान कहा कि कार्यान्वयन एक समस्या है। आपने सबरीमाला मामले में मेरी असहमति को पढ़ा।

2015 में ही धारा 66ए को कर दिया था रद्द

कोर्ट ने कहा कि यह चौंकाने वाला है कि कानून को खत्म करने वाले फैसले को अब भी लागू नहीं किया गया है। यह नोटिस पीयूसीएल द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान स्टेटमेंट दिया गया। जिसमें बताया गया था कि मार्च 2021 तक कानून के 7 साल बाद भी कुल 745 मामले अभी भी लंबित हैं और 11 राज्यों में जिला कोर्ट के सामने एक्टिव हैं। जिसमें आरोपी व्यक्तियों पर आईटी एक्ट की धारा 66 ए के तहत अपराध के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है।

जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के द्वारा याचिका दायर की गई। मार्च 2015 के बाद भी श्रेया सिंघल के फैसले के बाद धारा 66ए को हटा दिया था। इस कानून के तहत 1,307 मामले दर्ज किए गए। इस मामले को लेकर भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देते हुए कहा कि कानून की किताबों में अभी भी आईटी अधिनियम की धारा 66ए है, जिसे असंवैधानिक करार दिया गया था।