भारत में मिला है लिथियम इसे व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है।
3000 अरब का खजाना, मोदी सरकार की लगी लॉटरी, केवल एक शर्त के साथ नीलामी की तैयारी में सरकार
लिथियम एक ऐसा नॉन फेरस मेटल है, जिसका इस्तेमाल मोबाइल-लैपटॉप, इलेक्ट्रिक व्हीकल समेत कई आइटम्स के लिए चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है।
जम्मू |जम्मू के रियासी जिले में मिले लिथियम के बड़े भंडार की जल्द नीलामी करने की सरकार ने तैयारी कर ली है, इस भंडार का ऑक्शन अप्रैल-जून के तिमाही में करने का लक्ष्य तय किया गया है, सरकार इसकी नीलामी जल्द से जल्द शुरू करने की कोशिश में है।देश में मिले लिथियम भंडार की कुल क्षमता 59 लाख टन है।
59 लाख टन है जम्मू में मिला लिथियम भंडार
देश में मिले लिथियम भंडार की कुल क्षमता 59 लाख टन है ,भारत से आगे बोलिविया, अर्जेंटीना, अमेरिका, चिली, ऑस्ट्रेलिया और चीन हैं. लिथियम एक ऐसा नॉन फेरस मेटल है, जिसका इस्तेमाल मोबाइल-लैपटॉप, इलेक्ट्रिक व्हीकल समेत कई आइटम्स के लिए चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है. इस रेअर अर्थ एलिमेंट के लिए भारत अभी दूसरे देशों के भरोसे है. फिलहाल चीन में एक टन लिथियम की कीमत करीब 51,19,375 रुपये है, जबकि भारत में जो खजाना मिला है, उसमें 59 लाख टन लिथियम मिलने की संभावना है. इस हिसाब से उसकी कीमत करीब 3000 अरब रुपये आंकी गई है।
भारत में इस्तेमाल करना होगा लिथियम
नीलामी को लेकर सरकार की योजना है कि ये आमतौर पर अपनाई जाने वाली नीलामी प्रक्रिया की तरह सभी के लिए ओपन रहेगी. इसमें कोई भी बोली लगा सकता है. हालांकि बोली जीतने वाले को लिथियम का इस्तेमाल भारत में ही करना होगा. लेकिन फिलहाल भारत में लिथियम रिफाइनिंग की प्रक्रिया मौजूद नहीं है. ऐसे में इस भंडार से लिथियम निकालना भी एक चुनौती होगी।
आपको बता दें की भारत के हाथ एक ऐसा खजाना लगा है, जो पूरे देश की तकदीर बदल सकता है। ये खजाना है लिथियम का। जम्मू कश्मीर में लिथियम का भंडार मिला है। इसकी क्षमता 59 लाख टन है। इसे व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है। भारत में पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में लीथियम मिला है।विशेषज्ञों के अनुसार, यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लिथियम भंडार हो सकता है। इतनी भारी मात्रा में लिथियम मिलने से नॉन फेरस मेटल के क्षेत्र में अब भारत की निर्भरता दूसरे देशों से कम होने की उम्मीद है।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के विशेषज्ञ तीन साल से जम्मू कश्मीर के रियासी जिले के सलाल कोटली गांव में सर्वे कर रहे थे। इस दौरान यहां छह हेक्टेयर जमीन में सबसे हल्के खनिज लीथियम का 59 लाख टन भंडार पाया गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि लीथियम खनिज भंडार का घनत्व भी बहुत अधिक है। यानी जिस क्षेत्र में यह खनिज पाया गया है, उसमें लीथियम को ज्यादा मात्रा में निकाला जा सकेगा।कश्मीर में खनन सचिव अमित शर्मा ने बताया कि सामान्यत: लिथियम 220 पार्ट्स पर मिलियन (पीपीएम) ग्रेड पर मिलता है, लेकिन माता वैष्णो देवी तीर्थ की पहाड़ियों के नीचे मिला लीथियम 500 पीपीएम से ज्यादा ग्रेड का है।
लिथीयम है क्या?
लिथियम एक तरह का रेअर एलिमेंट है। इसका इस्तेमाल मोबाइल-लैपटॉप, इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) समेत दूसरे चार्जेबल बैटरियों को बनाने में किया जाता है। लिथियम एक नरम और चाँदी जैसी-सफेद धातु होता है। लिथियम का प्रयोग कई उत्पादों में किया जाता है और इसका भंडार मिलना भारत के लिए बड़ी क्रांति साबित हो सकती है। लिथियम का इस्तेमाल थर्मोन्यूक्लियर रिएक्शन में भी किया जाता है। लिथियम का इस्तेमाल एल्युमीनियम और मैग्नीशियम के साथ मिश्र धातु बनाने के साथ ही मिश्र धातुओं की क्षमता बढ़ाने में भी किया जाता है। मैग्नीशियम-लिथियम मिश्र धातु का इस्तेमाल कवच बनाने के लिए भी किया जाता है। एल्युमीनियम-लिथियम मिश्र धातु का इस्तेमाल साइकिलों के फ्रेम एयरक्राफ्ट और हाई-स्पीड ट्रेनों में भी किया जाता है। मूड स्विंग और बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी बीमारियों के इलाज में भी लिथियम का इस्तेमाल किया जाता है।
भारत को आत्मनिर्भर बनाएगी लिथियम की खोज
भारत लिथियम का सबसे ज्यादा आयात चीन और हांगकांग से करता है. साल दर साल आयात की मात्रा और रकम में जोरदार इजाफा हो रहा है. आंकड़ों के मुताबिक भारत 80 फीसदी तक लिथियम का चीन से आयात करता है. इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस बढ़ाने के बाद से भारत लिथियम आयात करने के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर रहा है।