नई दिल्ली।
कर्जदारों के लिए बड़ी राहत की खबर है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए घोषणा की कि अब बैंकों और वित्तीय संस्थानों को गैर-कारोबारी ऋणों के समयपूर्व भुगतान पर किसी प्रकार का जुर्माना नहीं वसूलने दिया जाएगा। यह नया नियम 1 जनवरी, 2026 से लागू होगा और इसका लाभ लाखों मध्यम वर्गीय लोगों, छोटे कर्जदारों और सूक्ष्म उद्यमियों को मिलेगा।
RBI ने लोन सिस्टम की असमानताओं को खत्म करने की ओर उठाया कदम
RBI ने अपने सर्कुलर में कहा कि समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि कई बैंक व एनबीएफसी कर्जदारों से समय से पहले कर्ज चुकाने पर भारी जुर्माना वसूलते हैं, जिससे ना केवल ग्राहकों पर वित्तीय बोझ बढ़ता है, बल्कि यह स्वतंत्र प्रतिस्पर्धा और बेहतर शर्तों पर लोन ट्रांसफर की प्रक्रिया को भी बाधित करता है।
कई वित्तीय संस्थानों द्वारा लोन एग्रीमेंट में ऐसे प्रावधान जोड़े गए थे जो ग्राहक को अन्य बैंक में ट्रांसफर करने से रोकते हैं। यह फेयर बैंकिंग के सिद्धांतों के खिलाफ है और ग्राहकों के हितों को नुकसान पहुंचाता है।
किन लोन पर लागू होगा यह नियम?
यह नया नियम केवल गैर-व्यावसायिक उद्देश्य से लिए गए फ्लोटिंग रेट वाले लोन पर लागू होगा। यानी:
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पर्सनल लोन
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होम लोन
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एजुकेशन लोन
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फ्लोटिंग ब्याज दर पर लिए गए लोन
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एमएसएमई को व्यक्तिगत कर्ज
और यह निम्न संस्थानों पर अनिवार्य रूप से लागू होगा:
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सभी वाणिज्यिक बैंक (सिवाय पेमेंट बैंकों के)
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सहकारी बैंक
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एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां)
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अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (AIFI)
कर्जदार को पूरी आज़ादी: आंशिक या पूरा भुगतान, बिना शुल्क
RBI ने स्पष्ट किया है कि चाहे कोई ग्राहक लोन का आंशिक भुगतान करे या संपूर्ण, उस पर कोई प्री-पेमेंट शुल्क नहीं लगेगा।
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि बैंक अब कोई ‘लॉक-इन पीरियड’ भी नहीं थोप सकेंगे, यानी ग्राहक पहले दिन से ही समय पूर्व भुगतान करने को स्वतंत्र होगा — चाहे वह अपनी जेब से करे, या किसी और बैंक से नया लोन लेकर चुकता करे।
कों पर पारदर्शिता का दबाव, छिपे चार्ज नहीं चलेंगे
RBI ने यह भी निर्देश दिया है कि जिन ऋणों पर नया नियम लागू नहीं होता, उन मामलों में भी सभी शुल्कों को पहले से स्पष्ट करना अनिवार्य होगा।
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कर्ज स्वीकृति पत्र
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लोन एग्रीमेंट
इनमें प्रीपेमेंट या अन्य कोई शुल्क यदि है, तो उसका स्पष्ट और लिखित उल्लेख होना चाहिए। कोई भी ‘हिडन चार्ज’ या मौखिक शर्त अब मान्य नहीं मानी जाएगी। यदि खुद बैंक या एनबीएफसी समयपूर्व भुगतान प्रस्तावित करता है, तो वह कोई शुल्क नहीं वसूल सकता।
नीति के पीछे का उद्देश्य: ग्राहक हित और एक समान नियम
RBI के इस फैसले का स्पष्ट उद्देश्य है –
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ऋण प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाना
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वित्तीय संस्थानों की मनमानी खत्म करना
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लोन ट्रांसफर में बाधा बन रहे शुल्कों को समाप्त करना
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और अंततः ग्राहक को निर्णय की स्वतंत्रता देना
यह कदम विशेष रूप से एमएसएमई सेक्टर और मिडिल क्लास के लिए राहत लेकर आया है, जो अक्सर ऊंचे ब्याज दरों और जुर्मानों में फंसे रहते हैं।