रुपूर्णिमा के दिन छिंदवाड़ा जिले में देखा गया परिवहन संकट केवल एक अस्थाई हड़ताल नहीं था, यह उस गहरी समस्या का संकेत है जो भारत के अर्ध-शहरी क्षेत्रों में ट्रांसपोर्ट प्लानिंग की कमजोरी को उजागर करता है।
जिले में अब तक कोई भी स्पष्ट रूप से अधिसूचित बस स्टॉप नहीं है। इसके बावजूद जिला सड़क सुरक्षा समिति ने बिना विकल्प दिए 'रैंडम स्टॉपिंग' पर दंडात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की। यही वह मोड़ था जहां से टकराव शुरू हुआ।
बुधवार को प्रशासन और बस ऑपरेटरों के बीच हुई बैठक इस तथ्य को रेखांकित करती है कि संवाद प्रक्रिया में तैयारी और ईमानदारी दोनों की कमी है।
गुरुपूर्णिमा पर अस्थाई समाधान नहीं दिया जाना, दर्शाता है कि नीति-निर्माण नागरिक आवश्यकताओं को कितना पीछे छोड़ चुका है।
प्रभावितों में न केवल तीर्थयात्री शामिल हैं, बल्कि रोज कमाने-खाने वाले मजदूर, स्कूल जाने वाले छात्र, और अस्पताल पहुंचने वाले रोगी भी हैं।
इस हड़ताल को अगर गंभीरता से न लिया गया, तो आने वाले त्योहारों और अन्य सीजन में भी यही संकट दोहराया जाएगा।