शास्त्रों की माने तो हरा रंग सौभाग्य का प्रतीक होता है। सावन भगवान शिव का प्रिय मास है। भगवान शिव की पूजा अर्चना कर भक्त उन्हें प्रसन्न करते हैं। शास्त्रों में भी प्रकृति को मात्रा गौरी का रूप माना गया है। इसलिए उसकी पूजा की जाती है। इस पूरे महीने हरा पहनने वाले लोगों पर प्रकृति की विशेष कृपा होती है।
महिलाएं हरे रंग की चूडि़यां और सुहाग की चीजें पहनकर प्रकृति से खुद को जोड़ती हैं। जिससे उन्हें सुहाग की सलामती का आर्शीवाद मिलता है। हरा रंग बुद्ध ग्रह का प्रतीक होता है। बुद्ध ग्रह करियर और व्यापार से जुड़ा हुआ है। ऐसे में हरा रंग पहनने से बुद्ध प्रसन्न होते हैं और सुहागिनों के घर में समपन्नता और धन-धान्य बढ़ाते हैं।
सावन में हरा रंग पहनने से शिव खासतौर से खुश होते हैं। भगवान शंकर का प्रकृति से विशेष जुड़ाव है और ऐसे में भक्त जब खुद को प्रकृति के अनुरूप ढाल लेता है तो शिव विशेष तौर से खुश हो जाते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। सावन में हरे रंग चूड़ियां पहनने वाली महिलाओं पर विष्णु जी भी प्रसन्न होते हैं। हरा-हरा रंग प्रकृति, उर्वरता, बहुलता, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा की वृद्धि का प्रतीक है।
हरा, उपचार का भी रंग है और ये हार्ट के साथ ही हाई ब्लड प्रेशर की समस्याओं के लिए भी अच्छा माना जाता है। जिन शादीशुदा दंपति के जीवन में अनबन चल रही हो वो अपने बेडरुम के दक्षिण पूर्व हिस्से को हरे रंग से पेंट करें तो इसका लाभ मिल सकता है।