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हुक से लटकाया, बेरहमी से पीटा और समुद्र में फेंक दिया, एक कुत्ते की हत्या जिसने सभी को हिला दिया



राफेल डील को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है। आईएनसी के मुताबिक, कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि फ्रांस के पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने राफ़ेल सौदे में भ्रष्टाचार की जाँच शुरू की। और हमारे देश के TV चैनलों ने 'पूर्ण चुप्पी' साध ली। जो ताज़ा खुलासे अब फ्रांस में हुए हैं, उन्होंने एक बार फिर शक की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी; प्रथम दृष्टि से राफेल एयर क्राफ्ट सौदे में भष्टाचार साबित है, सामने है; जो कांग्रेस और राहुल गाँधी कहते रहे हैं वो आज साबित हो गया है।

14 जून 2021 को फ्रांस के पब्लिक प्रोसीक्यूशन सर्विस ने राफेल कागजात में भ्रष्टाचार, घोर पूंजीवाद, नाजायज तौर से प्रभाव डालने और नाजायज तौर से लोगों को कैंडिडेट बनाने को लेकर एक भष्टाचार की जाँच शुरू कर दी है। भ्रष्टाचार की उस जाँच में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति, जिनके समय में राफेल की एयर क्राफ्ट डील मोदी जी ने साइन की थी; श्री फ्रांस्वा हौलेंड, उनकी भूमिका की भी जाँच होगी; फ्रांस के मौजूदा राष्ट्रपति की भी जाँच होगी।

इनके साथ-साथ उस समय के फ्रांस के रक्षा मंत्री, जो आज विदेश मंत्री भी हैं तथा अनिल अम्बानी जी की कंपनी रिलायंस भी जाँच के घेरे में है। मोदी सरकार और स्वीटहार्ट डील भी अब सामने आ गयी है; फ्रेंच वेबसाइट मीडिया पार्ट ने अब एक समझौता, जो दसाल्ट एविएशन और रिलायंस के बीच में हुआ था, उसके तथ्य कागजात सहित सामने रख दिए हैं। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा हौलेंड ने बकायदा एक इंटरव्यू में कहा था कि दसाल्ट के पार्टनर 'रिलायंस' को बनाने के निर्णय में उनकी कोई चॉइस नहीं थी, क्योंकि यह भारत सरकार के प्रभाव में किया गया निर्णय था।


जो DRAL कंपनी बनाई गई, उसमें रिलायंस 51% मालिक है और दसाल्ट 49% मालिक है; इस कंपनी में दोनों भागीदारों 'रिलायंस और दसाल्ट' द्वारा 169 मिलियन यूरो का इन्वेस्टमेंट अधिक से अधिक करने का निर्णय किया गया। दसाल्ट, जो 49% हिस्सेदार है, वो एक 169 मिलियन यूरो में से 159 मिलियन यूरो लाने के लिए बाध्य होगी और 51% की मालिक रिलायंस केवल 10 मिलियन यूरो लाएगी। दसाल्ट और रिलायंस के बीच क्लॉज़ 4.4.1 जो इस समझौते का है, उसमें जहाज बनाने की तकनीक और सारी विशेषज्ञता दसाल्ट एविएशन लाएगी तो रिलायंस क्या लाएगी?


रणदीप सुरजेवाला ने आगे कहा कि स्वाभाविक तौर पर इस समझौते के बाद भारत सरकार की कंपनी 'हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड' जो जहाज बनाती आई है, उसे राफेल सौदे से बाहर कर दिया गया। 25 मार्च 2015 को दसाल्ट के CEO बैंगलौर आते हैं और भारतीय वायुसेना और HAL के प्रमुख की मौजूदगी में दसाल्ट और HAL के समझौते की पुष्टि करते हैं, लेकिन 24 घंटे में ही दसाल्ट एविएशन रिलायंस से अपना नया एग्रीमेंट का साइन कर लेती है। अब भष्टाचार की परतें खुल चुकी हैं। प्रथम दृष्टि से राफेल घोटाला सामने है।राफेल में घोटाला सामने है। सरकारी खजाने को चूना लगाना सामने है। देशहित का विरोध करना भी सामने है। अब सवाल यह उठता है कि क्या ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी जी सामने आकर राफेल घोटाले की JPC जाँच कराएँगे?

इसके अलावा कांग्रेस की ओर से ट्वीट करते हुए लिखा गया है कि राफेल मामले में फ्रांस में भ्रष्टाचार की जांच शुरू हो चुकी है। सच को कितना ही दबा लो, छुपा लो, लेकिन सच बाहर आता ही है। क्योंकि सच में ताकत होती है। राफेल घोटाले का सच भी बाहर आएगा।