कबीलाई इज्जत की आड़ में दो हत्याएं: बलूचिस्तान में ऑनर किलिंग का वीडियो वायरल, 13 गिरफ्तार - Jai Bharat Express

Jai Bharat Express

Jaibharatexpress.com@gmail.com

Breaking

कबीलाई इज्जत की आड़ में दो हत्याएं: बलूचिस्तान में ऑनर किलिंग का वीडियो वायरल, 13 गिरफ्तार

 पाकिस्तान की आदिम परंपराओं पर आधुनिक इंसानियत की हार

इस्लामाबाद/क्वेटा।
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत से आई यह ख़बर सिर्फ एक जुर्म नहीं, बल्कि सामाजिक बर्बरता और न्यायहीन परंपराओं की ज़िंदा तस्वीर है। मई माह में हुई एक महिला और पुरुष की निर्मम हत्या का वीडियो जब हाल ही में सोशल मीडिया पर सामने आया, तो पूरे देश की अंतरात्मा हिल गई।

इस वीडियो में दोनों को कबीलाई फरमान के तहत मौत की सजा दी जाती दिखाया गया है। पुलिस ने अब इस मामले में 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें एक प्रमुख जिरगा नेता भी शामिल है, जिसने कथित तौर पर हत्या का आदेश दिया था।

इश्क के खिलाफ जंग: कौन तय करेगा 'इज्जत' का मतलब?

मामले की शुरुआत एक साधारण प्रेम कहानी से हुई—एक महिला ने अपनी पसंद से एक पुरुष से संबंध बनाया। लेकिन यह ‘स्वतंत्रता’ बलूचिस्तान की कबीलाई मर्यादा को नागवार गुजरी। आरोप है कि स्थानीय जिरगा (पंचायत) ने इस संबंध को “परंपरा के विरुद्ध” बताते हुए दोनों को मौत की सजा सुनाई
फैसले के बाद दोनों को सुनसान जगह ले जाकर गोली मार दी गई।

यह घटना बताती है कि पाकिस्तान के कई हिस्सों में आज भी कानून से ऊपर कबीलाई आदेश चलते हैं, जहाँ प्रेम करना एक अपराध और “इज्जत के नाम पर हत्या” एक सजा बन चुकी है।

वीडियो लीक न होता तो मामला भी दफन हो जाता

हत्या मई में हुई थी, लेकिन आधिकारिक कार्रवाई तब शुरू हुई जब हत्या का वीडियो वायरल हुआ।
वीडियो में महिला की चीखें, पुरुष की बेबसी और हत्यारों की निश्चल क्रूरता—यह सब न केवल एक जघन्य अपराध का साक्ष्य है, बल्कि एक पूरे सिस्टम की चुप्पी का प्रमाण भी है।

बलूचिस्तान पुलिस ने आनन-फानन में तफ्तीश शुरू कर 13 लोगों को पकड़ा, लेकिन यह सवाल बना हुआ है कि क्या यह गिरफ़्तारी न्याय की शुरुआत है या सिर्फ जनाक्रोश को थामने की कोशिश?

जिरगा संस्कृति: जहां कानून की जगह खौफ है

जिरगा प्रणाली, जो मूलतः पारंपरिक विवाद समाधान की एक पद्धति थी, अब अक्सर न्याय के नाम पर सामाजिक दमन और हिंसा का औजार बन चुकी है।
इस व्यवस्था में महिलाएं आमतौर पर गूंगी-बहरी गवाह होती हैं, जिनके लिए न तो अपील होती है, न वकील, न कोई सहारा।

मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में हर साल दर्जनों महिलाएं ऑनर किलिंग की शिकार होती हैं, लेकिन 90% मामलों में कोई सजा नहीं होती। अपराधी या तो माफीनामा (Pardon) के सहारे छूट जाते हैं या सामाजिक दबाव में जांच ही दबा दी जाती है।

13 गिरफ्तार, पर असली अपराधी कौन?

बलूचिस्तान पुलिस का कहना है कि अब तक 13 लोगों को हिरासत में लिया गया है और मामले की तह तक जाने के लिए विशेष जांच दल गठित किया गया है।
लेकिन स्थानीय सूत्रों का दावा है कि जिन लोगों ने हत्याएं कीं, वे कबीले के ‘शेर’ माने जाते हैं और उनके खिलाफ बोलना ही मौत को बुलावा देना है।

ऐसे में यह संदेह गहराता जा रहा है कि क्या जांच निष्पक्ष होगी? या यह मामला भी वक्त के धूल में गुम हो जाएगा, जैसा कि पाकिस्तान में ऑनर किलिंग के अधिकतर मामलों में होता है।

 कब तक इज्जत के नाम पर कत्ल होंगे सपने और ज़िंदगियाँ?

यह घटना सिर्फ दो हत्याओं की नहीं, बल्कि पाकिस्तान की आधुनिकता और बर्बर परंपराओं के बीच की टकराहट की प्रतीक है।
एक तरफ संविधान, अदा


लतें और मानवाधिकार के कानून हैं; दूसरी तरफ कबीलाई जिरगा, बंदूक और “इज्जत” का झूठा झंडा।

सवाल अब यह नहीं है कि क्या हुआ, बल्कि यह है कि अब क्या किया जाएगा?
क्या पाकिस्तान का न्याय तंत्र इस बार वाकई दोषियों को सजा देगा? या फिर यह मामला भी कागजों में ‘सुलझा हुआ’ और जमीन पर ‘अनदेखा’ रह जाएगा?