सर्वपितृ अमावस्या पर आजमाए ये 7 उपाय, होगी पितरों की तृप्ति - Jai Bharat Express

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सर्वपितृ अमावस्या पर आजमाए ये 7 उपाय, होगी पितरों की तृप्ति

श्राद्ध पक्ष में अमावस्या का बहुत महत्व माना जाता हैं। किसी अन्य दिन श्राद्ध नहीं कर पाए तो आप अमावस्या के दिन अपने पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं और इसलिए ही इसे सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता हैं। सर्वपितृ अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात पितरों के निमित्त श्राद्ध किया जाता हैं। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जिन्हें सर्वपितृ अमावस्या पर किया जाए तो पितरों की तृप्ति होती हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। तो आइये जानते हैं उन उपायों के बारे में।

- पितृ मोक्ष अमावस्या वाले दिन प्रात:काल पीपल के पेड़ के नीचे अपने पितरों के निमित्त घर का बना मिष्ठान व पीने योग्य शुद्ध जल की मटकी रखकर धूप-दीप जलाएं।
- पितृ मोक्ष अमावस्या वाले दिन 'कुतप-काल' बेला में अपने पितरों के निमित्त गाय को हरी पालक खिलाएं।
- पितृ मोक्ष अमावस्या वाले दिन प्रात:काल तर्पण अवश्य करें।
- पितृ मोक्ष अमावस्या वाले दिन किसी मंदिर में या ब्राह्मण को 'आमान्य दान' अवश्य करें।
- पितृ मोक्ष अमावस्या वाले दिन अपने पितरों के निमित्त चांदी का दान अवश्य करें।
- पितृ मोक्ष अमावस्या को सूर्यास्त के पश्चात घर की छत पर दक्षिणाभिमुख होकर अपने पितरों के निमित्त तेल का चौमुखा दीपक रखें।
- पितृ मोक्ष अमावस्या के अवसर अपने पितरों के निमित्त जरूरतमंदों को यथायोग्य दान अवश्य दें।


श्राद्धभोक्ता को अपनाने चाहिए ये नियम
- श्राद्धभोक्ता को श्राद्ध भोज वाले दिन श्राद्धकर्ता के अतिरिक्त कहीं अन्यत्र भोजन नहीं करना चाहिए।
- श्राद्धभोक्ता को श्राद्ध का भोजन करते समय मौन रहकर भोजन ग्रहण करना चाहिए, केवल हाथों के संकेत से अपनी बात प्रकट करनी चाहिए।
- श्राद्धभोक्ता को श्राद्ध के भोजन की प्रशंसा या निंदा नहीं करनी चाहिए।
- श्राद्धभोक्ता को श्राद्ध वाले दिन किसी को दान नहीं देना चाहिए।
- श्राद्धभोक्ता को श्राद्ध वाले दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
श्राद्धकर्ता को अपनाने चाहिए ये नियम
- श्राद्धकर्ता को श्राद्ध वाले दिन बाल कटवाना, दाढ़ी बनाना, तेल मालिश करने का निषेध है। श्राद्धकर्ता को श्राद्धवाले दिन ये सब कार्य नहीं करने चाहिए।
- श्राद्धकर्ता को श्राद्ध वाले दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और स्त्री-संसर्ग नहीं करना चाहिए।
- श्राद्धकर्ता को श्राद्ध वाले दिन किसी अन्य व्यक्ति के घर या अन्य स्थान पर भोजन नहीं करना चाहिए।
- श्राद्धकर्ता को श्राद्ध वाले दिन किसी से दान या भेंट स्वीकार नहीं करना चाहिए।
- श्राद्धकर्ता को श्राद्ध वाले दिन ब्राह्मण भोजन के उपरांत ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।