भारत-चीन के बीच सीमा विवाद पर 20 फरवरी को 10वें दौरे की बैठक - Jai Bharat Express

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भारत-चीन के बीच सीमा विवाद पर 20 फरवरी को 10वें दौरे की बैठक

 


भारत और चीन सीमा विवाद पर 20 फरवरी को सुबह 10 बजे दोनों देशों के बीच कॉर्प्स कमांडर लेवल के 10वें दौर की वार्ता होगी. सेना के सूत्रों के हवाले से न्यूज एजेंसी ANI ने बताया कि यह बातचीत मोल्डो में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के क्षेत्र में होगी.

पैंगोंग झील के पूर्वी और दक्षिणीछोर से सेनाओं के हटने की प्रक्रिया के बाद अब दोनों देश फ्रिक्शन प्वाइंट सेडिसइंगेजमेंट के मुद्दे पर बात करेंगे.

सेना के अधिकारियों ने ANI को बताया है कि कॉर्प्स कमांडर्स लेवल की इस वार्ता में हॉट स्प्रिंग, गोगरा और 900 स्क्वेयर किलोमीटर के डेपसांग जैसे फ्रिक्शन प्वाइंट पर चर्चा होगी. शुरुआती दौर में गोगरा और हॉट स्प्रिंग के मसले को हल किया जाएगा. डेपसांग के हल को लेकर कुछ और समय लग सकता है.

NDTV की रिपोर्ट के अनुसार पैंगोंग झील के दोनों छोर से सेनाओं के हटने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.

9वें दौर की वार्ता सकारात्मक रही

सरकार की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि "भारत-चीन के बीच 25 जनवरी को हुई कॉर्प्स कमांडर लेवल की 9वें दौर की वार्ता सकारात्मक रही. इस बातचीत में दोनों देशों ने फ्रंटलाइन से सेनाओं के जल्द से जल्द डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया पर सहमति जताई."

सैन्य अधिकारियों के अनुसार "दोनों देशों की बीच हुई बातचीत सकारात्मक और रचनात्मक रही, जिसकी बदलौत आपसी विश्वास और समझ को बढ़ावा मिला. दोनों देशों ने सीमा पर जल्द से जल्द डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति व्यक्त की. इसके अलावा बैठक में दोनों देशों के नेताओं के बीच हुई बातीचत पर आगे बढ़ने को लेकर सहमति जताई गई."

सेना की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया कि "भारत-चीन के सैन्य अधिकारियों ने LAC पर तनाव कम करने और आपसी संयम के साथ सीमा पर स्थिरता बनाए रखने पर भी सहमति व्यक्त की."

पैंगोंग क्षेत्र में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया जारी

पिछले हफ्ते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा था कि पैंगोंग झील के पूर्वी और उत्तरी छोर से भारत और चीन की सैन्य टुकड़ियों के हटने की प्रक्रिया जारी है, जो कि लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद का मुख्य कारण था.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि "एक समझौते के तहत दोनों देश पैंगोंगक्षेत्र से डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया के लिए तैयार हुए, ताकि दोनों पक्ष आपसीतालमेल और समझ के साथ सैनिकों की तैनाती को कम कर सके."