हिंदू नववर्ष की शुरुआत 13 अप्रैल को गुड़ी पड़वा से होगी। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कृष्णपक्ष में चंद्रमा का प्रभाव घटता है, जिसे शुभ नहीं माना जाता। यही कारण है कि चैत्र महीने के शुक्लपक्ष से नए साल की शुरुआत मानी जाती है।
चैत्र माह का महत्व
अमावस्या के बाद चन्द्रमा जब मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में प्रकट होकर हर दिन एक-एक कला बढ़ता हुआ 15 वें दिन चित्रा नक्षत्र में में पूरा होता है, तब वह महीना चित्रा नक्षत्र के कारण चैत्र कहलाता है। हिन्दू नववर्ष के चैत्र महीने से ही शुरू होने के पीछे पौराणिक मान्यता है कि भगवान ब्रह्मदेव ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी। ताकि सृष्टि निरंतर प्रकाश की ओर बढ़े।
होली के अगले दिन से ही शुरू हो जाता है चैत्र माह
- होली के दूसरे ही दिन से चैत्र महीना शुरू हो जाता है, लेकिन ये समय कृष्ण पक्ष का होता है। मतलब पूर्णिमा से अमावस्या तक का।
- इन 15 दिनों में चंद्रमा लगातार घटता है और अंधेरा बढ़ता जाता है। सनातन धर्म में तमसो मां ज्योतिर्गमय् यानी अंधेरे से उजाले की ओर जाने की मान्यता है।
- इस कारण चैत्र महीने की शुरुआत के 15 दिन जो कि पूर्णिमा से अमावस्या तक होते हैं, उनको छोड़ दिया जाता है।
- अमावस्या के बाद जब शुक्लपक्ष लगता है तो शुक्ल प्रतिपदा से नया साल मनाया जाता है, जो अंधेरे से उजाले की ओर जाने का संदेश देता है।