छिंदवाड़ा, झिरपा गांव — एक और दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है जहाँ संदेह ने रिश्तों को खून में डुबो दिया। 53 वर्षीय लच्छीराम भारती को अपनी पत्नी विनीता (31) के चरित्र पर शक था। शक ने उसे इतना अंधा कर दिया कि उसने पत्नी को डंडे से पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया।
जांच में पता चला कि घरेलू झगड़ों का यह सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा था। घटना के बाद लच्छीराम अपनी बेटी को लेकर फरार हो गया। गांव के खेत मालिक दिलीप राय की सूचना पर माहुलझिर पुलिस सक्रिय हुई। मात्र 12 घंटे में आरोपी को रीवा के गोविंदगढ़ से धर दबोचा गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुष्टि की कि पीड़िता की मौत दम घुटने और सिर पर गहरी चोटों के कारण हुई।
अब सवाल यह है कि क्या सिर्फ शक किसी इंसान की जान लेने का अधिकार दे देता है? या यह सामाजिक ताने-बाने में छुपा मर्दवादी संकीर्ण सोच का घिनौना चेहरा है?
टूटी सांसों की आखिरी चीख: विनीता का गुनाह बस इतना था कि वह पत्नी थी
छिंदवाड़ा — 31 साल की विनीता भारती की जिंदगी एक चुभते हुए सवाल के साथ खत्म हो गई — क्या एक औरत को अब भी अपने चरित्र की सफाई देनी पड़ेगी, और वो भी अपने ही पति को?
पिछली रात विनीता को उसके ही घर में बेरहमी से पीटा गया। गवाह सिर्फ दीवारें थीं, जिन्होंने उसकी चीखें सुनीं। पति लच्छीराम भारती ने पहले डंडे से पीटा, फिर उसकी चीखों को मुंह दबाकर सदा के लिए खामोश कर दिया।
घटना के बाद वो अपनी बेटी को लेकर फरार हो गया। लेकिन पुलिस की सजगता ने आरोपी को रीवा में खोज निकाला। इंसाफ की एक छोटी-सी किरण जरूर चमकी, लेकिन विनीता अब नहीं लौटेगी।
एक सवाल जो हर महिला के मन में उभरता है — क्या प्यार और भरोसे की जगह अब शक और हिंसा ने ले ली है?