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रायसेन जिले के एक मंदिर में लगती है नागों की अदालत





साँप के काटे हुए लोगों के लिए मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के एक मंदिर में नागपंचमी के दिन नागों की अदालत लगती है।
जहां न वकील, न दलील, न गवाह, फिर भी नागों की अदालत में न्याय मिलता है ।
लॉक डाउन के वाद भी इसमें आज भोपाल एवं सागर के लोग भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। कहा जाता है कि इंसान जब अपराध करता हैं या उस पर जुल्म होता हैं अदालत में उसे दंड और न्याय मिलता हैं।जब कोई जीव इंसान पर जुल्म करे या इंसान जीव पर जुल्म करे उसे न्याय किस अदालत में मिलेगा। रायसेन जिले में एक ऐसी अदालत जहाँ कोई बकील नही होता और न ही कोई गबाह ,लेकिन न्याय एक दम सत्य मिलता हैं। बह अदालत हैं नागों की अदालत और शेष नाग के सामने होता हैं सत्य असत्य का न्याय.
न वकील, न दलील, न गवाह, फिर भी नागों की अदालत में मिलता है मुकम्मल न्याय ।रायसेन जिले के गैरतगंज तहसील के श्रीराम रसियाधाम सीहोरा खुर्द में नागपंचमी के अवसर पर नागों की अदालत लगती है. मान्यता है कि इस अदालत में आने वाला कोई भी इंसान बिना न्याय के वापस नहीं जाता है। रायसेन जिले के गैरतगंज तहसील के सिद्घ क्षेत्र श्रीराम रसियाधाम सीहोरा खुर्द में आज नागपंचमी के अवसर पर नागों की अदालत लगी। यह आयोजन हर साल सीहोरा खुर्द में होता है। आयोजन के दौरान सर्पदंश से पीड़ित रहे लोगों के शरीर में नागों की आत्मा ने प्रवेश कर काटने का कारण बताया। यह लोग नागों द्वारा सताने के बाद सीहोरा दरबार में पहुंचे थे। अपने तरह के अनोखे एवं चमत्कारिक इस आयोजन को देखने के लिए दूर दराज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित हुए।ग्राम सीहोरा खुर्द श्री हनुमानजी एवं श्री शिवजी के सिद्घ स्थान के लिए ख्यातिलब्ध है। सीहोरा में नागदेव का चबूतरा है। जहां प्रतिवर्ष नागपंचमी के मौके पर नागों की अदालत लगती है। प्रातः से ही इस आयोजन की तैयारियां होने लगी थी। क्षेत्रभर में हो रही तेज वर्षा के बावजूद इस आयोजन के लिए हजारों की संख्या में लोग जुटे। इस आयोजन में रायसेन जिले के सिलवानी, बरेली, उदयपुरा, सुल्तानपुर, औबेदुल्लागंज, बेगमगंज सहित अन्य स्थानों में सीहोरा, भोपाल एवं सागर के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए। आप भी देख सकते हैं कि नाग पीड़ित व्यक्ति खुद बोलता हैं कि उसके साथ ऐसा क्या हुआ कि सर्प ने काटा,एक महिला पिंकी ने बताया कि
उसको 4 साल से कई बार सर्प काट चुका था और बह ठीक हो जाती थी , यह बात उसके पति जमना प्रसाद
ने बताई और बह भी शेषनाग के सामने बोली कि बह नागिन थी जिसकी मौत हो गई थी और उसे मनुष्य जन्म मिला लेकिन उसने अपने पति और तीन बेटियों को छोड़ किसी दूसरे से शादी कर ली जिसे जला दिया गया और बह वर्तमान जन्म में नाग और नागिन से परेशान थी जिसे यहां न्याय मिला।
सीहोरा स्थित नागदेव के चबूतरे पर नागों की अदालत लगी। दूर-दराज के दर्जनों लोग जो बीते वर्ष में सर्पदंश से पीड़ित थे। वे यहां पंडाजी अजब सिंह की मौजूदगी में बारी-बारी से पीड़ित रहे दर्जनभर से अधिक लोगों के शरीर में नागों की आत्मा ने प्रवेश कर संबंधित व्यक्ति को काटने का कारण बताती हैं।
यही नहीं प्रविष्ट नाग की आत्मा ने भविष्य में किसी व्यक्ति को पीड़ा न पहुंचाने की वचनबद्घता भी जताई। मौके पर मौजूद सर्पदंश से पीड़ित रहे व्यक्तियों के परिजन गंगाराम, वेदप्रकाश, लक्ष्मीबाई, आदेश, जयराम आदि ने मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए बताया कि वे नाग के सताए हुए व्यक्तियों को सीहोरा दरबार में लाए थे तथा यहां से गांसी बंधवाने के बाद आराम मिल गया था।अजब सिंह गुर्जर (पंडा बाबा)ने बताया कि यहां की परम्परा अनुसार अब नागपंचमी पर इस आयोजन में आए हैं। इस आयोजन को देखने के लिए क्षेत्र सहित दूर दराज के श्रद्घालु बड़ी संख्या में सीहोरा खुर्द पहुंचे।
आधुनिक युग में जहां अंधविश्वासों को तोडकर वि ज्ञान ने काफी प्रगति की है। तथा गंभीर रोगों के अत्याधुनिक इलाज की खोजें हुई हैं। इन स्थितियों में लोगों की आस्था अभी इस प्रकार के अनोखे आयोजनों से जुड़ी है। सीहोरा खुर्द में वर्षो से नागपंचमी पर हो रहे इस आयोजन में लोगों का बड़ी संख्या में जुड़ना ऐसी ही आस्था का प्रतीक है।