नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने संस्थान में खुदकुशी की घटनाएं बढ़ने पर चिंता जताई है. उन्होंने छात्रों व शिक्षकों से आग्रह किया है कि वे तनावग्रस्त छात्रों की मदद करें. यह टिप्पणी एम्स के एक 40 वर्षीय डॉक्टर का शव उनके आवास से बुरी हालत में मिलने के बाद आई है.
राष्ट्रीय राजधानी के प्रमुख चिकित्सा संस्थान में पिछले दो महीनों में छह आत्महत्याएं हुई हैं. छात्राओं के अलावा तीन डॉक्टर भी मौत को गले लगा चुके हैं.
गुलेरिया ने कहा, “कई दुर्भाग्यपूर्ण हालिया घटनाओं ने हमें बहुत व्यथित किया है. इससे हमें अपने असाधारण व प्रतिभावान छात्रों और हमारे परिवार के हिस्से को खोना पड़ा है.”
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए, एम्स के निदेशक ने कहा कि 30 प्रतिशत छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का अनुभव हुआ है या उन्होंने इलाज कराया है. उन्होंने कहा कि यह कहीं ज्यादा बड़ी संख्या में है जो कि सामान्य आबादी में बहुत अधिक है.
एम्स के निदेशक ने कहा, “अमेरिकन मेडिकल स्टूडेंट एसोसिएशन के मुताबिक कि तनाव, चिंता और अवसाद का चक्र मेडिकल स्कूल के दौरान होता है, क्योंकि छात्रों को अक्सर पर्याप्त नींद, पौष्टिक भोजन, नियमित व्यायाम और छोटे सपोर्ट सिस्टम के लिए समय की कमी होती है. मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जिस पर हमें काम करने की जरूरत है.”
गुलेरिया कोरोना महामारी की निगरानी करने वाली एक कोर टीम का हिस्सा भी हैं. उन्होंने कहा कि कोरोनोवायरस ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर काफी असर डाला है. हम, एक समुदाय के रूप में, सामाजिक संपर्क और स्वतंत्रता के साथ बड़े हुए हैं और हम अचानक से आइसोलेशन, भय और प्रतिबंधों के बीच रहने को मजबूर हो गए. हालांकि, हम शारीरिक दूरी की बात करते हैं, लेकिन हम वास्तव में नहीं चाहते हैं कि कोई सामाजिक दूरी हो.
एम्स के निदेशक ने कहा कि आत्महत्या के मुद्दे से निपटने के लिए प्रताप सरन और मनोरोग विभाग की अगुवाई में सप्ताह के सातों दिन और 24 घंटे छात्र कल्याण विंग है. 5 क्लीनिकल मनोवैज्ञानिक ये विंग चलाते हैं. इसके अलावा, एक मोबाइल हेल्पलाइन और ईमेल भी है, जो सप्ताह के सातों दिन और 24 घंटे उपलब्ध है.