नई दिल्ली । सरकार के पास पेट्रोल और डीजल पर 8.50 रुपये प्रति लीटर तक उत्पाद शुल्क में कटौती करने की गुंजाइश है। विश्लेषकों का ऐसा मानना है कि इन ईंधनों से मिलने वाले राजस्व के लक्ष्य पर असर डाले बिना यह कटौती की जा सकती है।
कच्चे तेल के दामों में उछाल के बीच भारत में पेट्रोल और डीजल के खुदरा भाव इस समय अभूतपूर्व ऊंचाई पर चल रहे हैं। पिछले नौ महीने से इनके दाम बढ़ रहे हैं। विपक्षी दल और समाज के कुछ वर्गों से पेट्रोलियम ईंधन पर करों में कटौती की मांग की जा रही है ताकि उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिले।
आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज ने अपने एक परचे में कहा है, हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021-22 में वाहन ईंधन पर यदि उत्पाद शुल्क में कोई कटौती नहीं की जाती है तो इससे प्राप्ति 4.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी जबकि बजट अनुमान 3.2 लाख करोड़ रुपये का है। इस हिसाब से यदि एक अप्रैल 2021 को अथवा इससे पहले उत्पाद शुल्क में 8.5 रुपये प्रति लीटर की भी कटौती की जाती है तो अगले वित्त वर्ष के बजट अनुमान को हासिल कर लिया जाएगा।
कंपनी ने उम्मीद जताई है कि मांग में सुधार आने, निजीकरण को बढ़ावा दिए जाने और मुद्रास्फीति को लेकर बढ़ती चिंता के बीच उत्पाद शुल्क में कटौती की उम्मीद है, लेकिन यह कटौती 8.5 रुपये प्रति लीटर से कम रह सकती है।
पिछले साल मार्च से लेकर मई 2020 के बीच पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 13 रुपये और डीजल में 16 रुपये लीटर की वृद्धि की गई। वर्तमान में पेट्रोल पर कुल मिलाकर 32.90 रुपये और डीजल पर 31.80 रुपये लीटर उत्पाद शुल्क लागू है।
उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम दो दशक के निम्न स्तर पर पहुंच गए थे। अंतरराष्ट्रीय बाजार में आई भारी गिरावट का लाभ उठाते हुए ही दोनों ईंधनों पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि की गई। लेकिन अब जबकि दुनिया में कच्चे तेल के दाम फिर से ऊंचाई की तरफ पहुंचने लगे हैं उत्पाद शुल्क की दर उसी ऊंचाई पर है।
आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज का कहना है, यदि कटौती ज्यादा नरम होगी तो हमारा मानना है कि वित्त वर्ष 2021- 22 में उत्पाद शुल्क प्राप्ति बजट अनुमान से अधिक रह सकती है।
वर्तमान में पेट्रोल की खुदरा कीमत में 60 प्रतिशत तक केंद्र और राज्य के करों का हिस्सा है जबकि डीजल के खुदरा मूल्य में करों का हिस्सा 54 प्रतिशत तक है। इस समय दिल्ली में पेट्रोल का दाम 91.17 रुपये और डीजल का दाम 81.47 रुपये लीटर है।
केंद्र सरकार ने नवंबर 2014 से लेकर जनवरी 2016 के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के गिरते दाम का लाभ उठाते हुए नौ बार पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाया। कुल मिलाकर 15 माह में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 11.77 रुपये और डीजल पर 13.47 रुपये लीटर की वृद्धि की गई। इससे सरकारी खजाने में भी अच्छी वृद्धि हुई।