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सिंगापुर और यूएई से ऑक्सीजन मंगाएगी सरकार, गृह मंत्री अमित शाह ने घरेलू उत्पादन बढ़ाने के दिए निर्देश




नई दिल्ली : कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश के अस्पतालों में जीवन रक्षक गैस ऑक्सीजन की भारी किल्लत को दूर करने के लिए केंद्र सरकार विदेश से ऑक्सीजन का आयात करेगी. ऑक्सीजन के आयात के लिए जर्मनी के बाद अब सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से सरकार के स्तर पर बातचीत जारी है. इसके अलावा, गृह मंत्रालय ने कहा है कि सिंगापुर से 4 क्रायोजेनिक (कम तापमान बनाए रखने में सक्षम) टैंकर विमानों से मंगाए जा रहे हैं, जिनका उपयोग ऑक्सीजन को देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाने के लिए किया जाएगा.

इतना ही नहीं, सरकार ने ऑक्सीजन के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए बंद पड़े ऑक्सीजन प्लांटों को दोबारा शुरू करने का निर्देश दिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर देश में कोरोना के हालात की समीक्षा करने के बाद यह फैसला किया है. गृह मंत्री ने ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्यों को कई निर्देश जारी किए हैं.


गृह मंत्रालय के अलावा, ऑक्सीजन की किल्लत को दूर करने की दिशा में रक्षा मंत्रालय ने भी अपने प्रयास शुरू कर दिए हैं. रक्षा मंत्रालय ने जर्मनी से 23 मोबाइल ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट और कंटेनर के आयात का फैसला किया है. इन्हें वायु सेना के परिवहन विमानों से एयरलिफ्ट किया जाएगा. सूत्रों ने कहा कि उन ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट की क्षमता प्रति मिनट 40 और प्रति घंटे 2400 लीटर है.


खबर है कि गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश के बाद गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को अपने क्षेत्र के ऑक्सीजन उत्पादकों की सूची तैयार करने को लेकर चिट्ठी लिखी है. इसके साथ ही, गृह मंत्रालय ने बिना किसी बाधा के ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है. गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि ऑक्सीजन ढुलाई के लिए उच्च क्षमता वाले टैंकरों को सिंगापुर और यूएई समेत दूसरे देशों से मंगाने के लिए गृह मंत्रालय तालमेल बैठा कर रहा है.


इतना ही नहीं, कोरोना के खिलाफ जंग में भारतीय वायुसेना ने कमर कस ली है. वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर, सी-130जे सुपरहरक्युलिस, आईएल-76, एएन-32 और एवरो जैसे ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट्स के साथ-साथ चिनूक और मी-17 जैसे हैवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर्स को मैदान में उतार दिया है. ऑक्सीजन के भरे हुए सिलेंडर और कंटनेर्स को एयरलिफ्ट नहीं किया जा सकता है, क्योंकि आसमान में दवाब (प्रेशर) के चलते लिक्विड ऑक्सीजन के लीक होकर आग लगने का खतरा बना रहता है. इसीलिए वायुसेना के विमानों का इस्तेमाल खाली सिलेंडर और कंटनेर्स को ले जाने के लिए इस्तेमाल हो रहा है, ताकि आवाजाही के समय की बचत हो सके।