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G7 के नेताओं ने चीन से कहा, मुस्लिम अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करे



नई दिल्ली। विकसित देशों के संगठन G7 के नेताओं ने चीन (China) से आग्रह किया है कि वह अपने शिंजियांग प्रांत (Xinjiang Province)में वीगर अल्पसंख्यक मुस्लिमों के मानवाधिकारों और मूलभूत स्वतंत्रता की रक्षा करे। जी7 ने चीन से यह भी कहा है कि वह हांगकांग के बारे में स्वायत्तता संबंधी अपने वादे को पूरा करे।

ब्रिटेन के कोर्नवाल (Cornwall of Britain) में आयोजित तीन दिवसीय शिखरवार्ता के बाद जारी वक्तव्य में कहा गया है कि लोकतांत्रिक देशों के रूप में हमारी जिम्मेदारी है कि दुनिया में नियमों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार व्यवस्था कायम हो। अपने साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरुप जी7 के देश विश्व राजनीति और अर्थव्यवस्था में काम करेंगे।

वक्तव्य में कहा गया है कि विश्व अर्थव्यवस्था में चीन की भूमिका के बारे में जी7 देश सामूहिक रवैया अपनायेंगे। वह चीन की मुक्त व्यापार के विरोध वाली नीतियों और व्यापारिक तौर-तरीकों के बारे में साझा रणनीति अपनायेंगे। वक्तव्य में चीन की बाजार विरोधी नीतियों और गैर-पारदर्शी तौर-तरीकों का विरोध किया गया। आर्थिक क्षेत्र में चीन की नीतियों के विरोध के साथ ही जी7 के नेताओं ने शिंजियांग और हांगकांग के बारे में चीन के रवैये की आलोचना भी की।

शिखरवार्ता के दौरान मुक्त समाजों के बारे में एक वक्तव्य जारी किया गया जिस पर जी7 देशों के अलावा भारत सहित चार अतिरिक्त देशों ने भी हस्ताक्षर किए। मुक्त समाज संबंधित वक्तव्य में कहा गया कि लोकतांत्रिक देशों पर यह जिम्मेदारी है कि वह अन्य देशों को लोकतांत्रिक मूल्यों की ओर प्रेरित करें ताकि नियम आधारित विश्व व्यवस्था कायम हो।

वक्तव्य में मानवाधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में प्रतिबद्धता व्यक्त की गई। वक्तव्य में सयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संबंधी घोषणापत्र पर आस्था दोहराई गई। स्वतंत्र चुनावों के आधार पर लोकतांत्रिक प्रणाली के संचालन तथा बीना किसी भेदभाव के सबको समान अवसर मुहैया कराने के सिद्धांत के बारे में भी प्रतिबद्धता व्यक्त की गई। वक्तव्य में इंटरनेट सहित अभिव्यक्ती की आजादी और विधि के शासन को लागू कराने को भी मान्यता दी गई। वक्तव्य में मीडिया की स्वतंत्रता के साथ ही नागरिक और समाजिक संस्थाओं की स्वतंत्रता पर भी जोर दिया गया।