जून के महीने में मुरैना में सामान्य से 10 गुना अधिक वर्षा और टीकमगढ़ में एक दिन में ही 9 इंच बारिश... ये संकेत महज़ मौसम के बदलाव के नहीं, बल्कि प्रकृति के क्रोधित होने के हैं।
इस मानसून ने मध्य प्रदेश को हिला दिया है। बारिश ने जबरदस्त कहर बरपाया है और ट्रफ लाइन की सक्रियता ने अरब सागर व बंगाल की खाड़ी से भरपूर नमी खींची है।वहीं, जलभराव, पशुधन की हानि और गांवों का डूब जाना केवल प्रशासन की विफलता नहीं, बल्कि उस अनियोजित शहरीकरण और लचर आपदा नीति की भी पोल खोलता है।
यह समय सिर्फ चेतावनी जारी करने का नहीं, बल्कि स्थायी समाधान खोजने का है।