जबलपुर। कभी घर-घर सीटी बजाकर कचरा संग्रहण करने वाली जबलपुर नगर निगम की गाड़ियाँ अब रहस्यमयी बन गई हैं – कब आती हैं, कब चली जाती हैं, नागरिकों को भनक तक नहीं लगती। एक जमाना था जब निगम का सिस्टम अनुशासन का प्रतीक माना जाता था, लेकिन अब हालात एकदम उलट हो चुके हैं।
स्थानीय नागरिकों की शिकायत है कि न तो अब समय पर सफाई होती है, न ही कचरा उठाने की नियमितता रह गई है। पूर्व में चलने वाला ‘डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण’ अभियान अब केवल कागज़ों में ज़िंदा है। न गाड़ी की सीटी सुनाई देती है, न सफाईकर्मी की झलक।
शासन और नगर निगम के बीच समन्वय की कमी, जवाबदेही की गिरावट और मॉनिटरिंग सिस्टम के अभाव ने शहर की सफाई व्यवस्था को पंगु बना दिया है। अगर जल्द सुधार नहीं हुआ, तो जबलपुर जैसे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से जुड़े शहर की साख पर प्रश्नचिह्न लगना तय है।