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"मां का किरदार कटघरे में: नींद की गोलियों से शुरू हुआ खेल, बच्चों की आंखों के सामने टूटा घर"

 एक मां जो अपने ही तीन मासूम बच्चों को बेहोश कर प्रेमी से मिलने का रास्ता बनाती रही। एक पत्नी जो शादी के आठ साल बाद पति को बोझ समझने लगी। और एक प्रेमी जो उसी पत्नी की शह पर कत्ल करके थाने पहुंचा और कहा—"काम पूरा कर दिया"।

क्या अब रिश्ते इतने खोखले हो गए हैं कि प्रेम विवाह नहीं, 'प्रेम-हत्या' बन गए हैं? जब मां कहे—"स्कूल जाओ", और वजह यह हो कि घर में कत्ल होना है, तब सोचिए उन बच्चों की मानसिक स्थिति कैसी होगी। नीतेश (10), पुनीत (8) और रोशनी (6) थाने पहुंचे और बोले—"हमें हमारी मां नहीं चाहिए, उसे जेल भेजो"। इससे बड़ा सामाजिक और नैतिक पतन क्या होगा?                                                                                                                                   तीन बच्चों ने थाने में कहा — “हमारी मां को जेल भेज दो, उसने हमारे पापा को मारा है”                                                ये कहानी आपके रोंगटे खड़े कर देगी। तीन मासूम बच्चे — नीतेश, पुनीत और रोशनी। जिनके लिए मां कभी भगवान समान होती थी, अब वही उनके लिए कातिल बन चुकी है।

सुबह स्कूल नहीं जाना चाहते थे बच्चे, क्योंकि पापा दिल्ली जाने वाले थे। पर बीना ने ज़ोर देकर भेजा — ताकि वो क़त्ल कर सके।

और जब बच्चों को स्कूल में पिता की मौत का समाचार मिला, वे भागकर थाने आए और बोले — "हमारी मम्मी ने उन्हें नींद की गोली दी थी, कई बार। अब उन्हें जेल भेज दो"।

इस देश में क्या अब मां का आंचल भी मौत की चादर बन गया है?