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कृषि विधेयक के खिलाफ पंजाब-हरियाणा के किसान सड़कों पर उतरे, ‘रेल रोको’’ आंदोलन 29 सितंबर तक बढाया

 


पंजाब और हरियाणा के किसान हाल में संसद से पारित कृषि विधेयकों के खिलाफ शुक्रवार को सड़कों पर उतरे। पंजाब में जहां पूरी तरह से ‘बंद’ रहा। वहीं, किसान संगठनों ने पूर्व में घोषित ‘रेल-रोको’ प्रदर्शन को तीन दिन और बढ़ाने का ऐलान किया है।

इससे पहले 24 से 26 सितंबर तक ‘रेल-रोको’ प्रदर्शन की घोषणा की गई थी। पूरे पंजाब में दुकानें, व्यवसायिक प्रतिष्ठान, सब्जी और अनाज मंडियां बंद रहीं और किसानों के संगठनों ने अपनी मांगों के प्रति इसे ‘अभूतपूर्व’ समर्थन करार दिया।

इस बीच, पंजाब के मुकाबले पड़ोसी हरियाणा में ‘भारत बंद’ का मिलाजुला असर देखने को मिला। ‘पंजाब बंद’ के आह्वान को सरकारी कर्मचारी संघों, गायकों, आढ़तियों, मजदूरों, धार्मिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का समर्थन मिला। विधेयकों को वापस लेने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के उद्देश्य से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग सहित सड़कों को बाधित कर दिया।

बता दें कि इन विधेयकों को अभी राष्ट्रपति की मंजूरी मिलनी बाकी है। सड़कों को बाधित करने से दोनों राज्यों के यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि उन्हें समाज के सभी वर्गों से ‘‘अभूतपूर्व’’ समर्थन प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘समाज के सभी वर्गों ने किसानों का समर्थन किया। बड़ी संख्या में युवा समर्थन करने के लिए आए।’’

पाल ने कहा कि पूरे पंजाब में करीब 150 स्थानों पर प्रदर्शन किया गया। पंजाब बंद के लिए करीब 31 संगठनों के साथ आने के मद्देनजर सरकारी पेप्सू सड़क परिवहन निगम (पीआरटीसी) की बसें शुक्रवार को सड़कों से नदारद रही। भारतीय किसान संगठन जो बंद का समर्थन कर रहे हैं उनमें किसान मजदूर संघर्ष समिति, कीर्ति किसान यूनियन और भारतीय किसान यूनियन (भाकियू)के कई गुट शामिल हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उम्मीद जताई कि किसानों का दर्द केंद्र तक पहुंचेगा जिन्होंने कोविड-19 महामारी और गर्मी के बावजूद प्रदर्शन किया और केंद्र शिष्टाचारपूर्ण तरीके से कृषि क्षेत्र को नष्ट करने के कदम को वापस लेगा। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी आप ने किसानों के प्रदर्शनों को समर्थन दिया है, वहीं शिरोमणि अकाली दल ने सड़क मार्ग बाधित करने की घोषणा की है।

शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने मुक्तसर जिले में ट्रैक्टर चलाकर विरोध किया। इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और उनकी पत्नी हरसिमरत कौर बादल उनके साथ ट्रैक्टर पर बैठी थीं। सुखबीर सिंह के नेतृत्व में ट्रैक्टर मार्च उनके बादल गांव स्थित आवास से निकला और यह लंबी में जाकर खत्म हुआ जहां पर पार्टी ने विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित किया था।

प्रख्यात गायक हरभजन मान और रंजीत बावा सहित कई पंजाबी गायकों ने नाभा में किसानों के प्रदर्शन में हिस्सा लिया। राज्य के कई हिस्सों में किसान सड़क यातायात रोकने के लिए जमा हुए। अंबाला-राजपुरा पर किसानों ने शंभू अवरोधक पर प्रदर्शन किया जिनमें पंजाबी कलाकार भी शामिल थे। महिला प्रदर्शनकारियों ने अमृतसर में किसान मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले प्रदर्शन किया। बरनाला जिले में किसानों ने कृषि विधेयकों के खिलाफ ट्रैक्टर में आग लगा दी।

पंजाब में किसानों ने संगरुर-पटियाला, चंडीगढ़-बठिंडा, अंबाला-राजपुरा-लुधियाना और मोगा-फिरोजपुर सड़क को बाधित कर दिया। इस बीच, हरियाणा में व्यवसायिक गतिविधियां और ट्रांसपोर्ट प्रभावित नहीं हुई। हालांकि, कुछ अनाज मंडियों में सन्नाटा पसरा रहा। किसानों ने कई स्थानों पर प्रदर्शन किया और करनाल-मेरठ राष्ट्रीय राजमार्ग सहित कुछ सड़कों को बाधित किया जिससे कुछ समय में लिए यातायात बाधित हुआ। उन्होंने रोहतक-झज्जर और दिल्ली-हिसार मार्ग को भी बाधित किया।

अधिकारियों ने बताया कि राज्य में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पर्याप्त संख्या में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई है। प्रदर्शनकारियों ने आशंका व्यक्त की है कि केंद्र के कृषि सुधारों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और कृषि क्षेत्र बड़े पूंजीपतियों के हाथों में चला जाएगा।

किसानों ने कहा है कि जब तक तीनों विधेयक वापस नहीं लिए जाते, वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। संसद ने कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक को इसी सप्ताह पारित किया।