ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि (Shani) एक राशि में करीब ढाई वर्षों तक़ रहते हैं. चूंकि एक घर में इतने समय तक रहने वाले शनि अकेले ग्रह हैं, इसलिए उन्हें मंदगामी ग्रह भी कहते हैं. उनका प्रभाव एक राशि पहले से और एक राशि बाद तक पड़ता है. यही स्थिति शनि की साढ़े साती (Shani ki Sade Sati) कहलाती है. जब गोचर में शनि किसी राशि से चतुर्थ एवं अष्टम भाव में होता है तो उसे अढैया कहते हैं. अगर शनि तृतीय, षष्ठम् एवं एकादश भाव में हों तो साढ़े साती और अढ़ैया करिश्माई परिणाम की साक्षी बनती हैं. यह योग जीवन को नये आकाश की ऊंचाई प्रदान करता है, पर अन्य को शुभ परिणाम नहीं मिलते. अगर शनि अष्टम एवं द्वाद्वश भाव में होते हैं तो अपार कष्ट मिलता है. साढ़े साती साढ़े सात साल तक और अढ़ैया ढाई साल तक चलती है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर व्यक्ति के जीवन में साढ़े साती हर 30 साल में एक बार अवश्य आती है. शनि की महादशा 19 साल की होती है. ज्योतिषियों के अनुसार शनि की साढे साती से पूरी तरह से मुक्ति तो नहीं मिलती मगर निम्न उपाय को अमल में लाने से साढ़े साती की पीड़ा को कम अवश्य किया जा सकता है.
* शनिवार के दिन नीलम धारण करने से शनि के प्रकोप से राहत मिलती है.
* शनिवार के दिन पूजा करते समय शनि दोष शांत यंत्र की भी पूजा करने से लाभ प्राप्त होता है.
* शनि की साढ़े साती के प्रभाव को कम करने के लिए प्रत्येक शनिवार को भोजन शुरु करने से पहले 3 रोटी निकालें, एक रोटी गाय को, एक कुत्ते को और एक रोटी कौए को खिलाएं. लाभ होगा.
* सूखे नारियल के गोले के ऊपरी हिस्से को काटकर उसमें मेवा और पीसी हुई शक्कर भरकर ढक्कन बंद कर कलाईनारा से बांध दें. इसे किसी पीपल वृक्ष के जड़ में गड्ढा खोदकर अंदर नारियल को रख दें, ऊपसे मिट्टी पाटकर बिना पीछे देखें वापस आ जायें. ऐसा करने से शनि की साढ़े साती की पीड़ा से शांति मिलती है.
* हनुमानजी का शनिदेव से अच्छे संबंध हैं. साढ़े साती से पीड़ित व्यक्ति अगर मंगलवार और शनिवार के दिन सुंदरकांड, हनुमान चालीसा अथवा बजरंग बाण का पाठ करे, और हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें. तब भी शनि की पीड़ा से शांति मिलती है.
* मान्यता है कि पीपल के वृक्ष पर भगवान शिव के साथ-साथ हर देवताओं का वास माना जाता है. इसलिए अगर शनिवार के दिन स्नान करने के पश्चात सुबह के समय पीपल के वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करने से भी शनि की साढ़ेसाती में होने वाली पीड़ा से शांति मिलती है.
* साढ़ेसाती से पीड़ित व्यक्ति अगर काले घोड़े के नाल की अंगूठी अथवा नाव के कील की अंगूठी का छल्ला बनाकर शनिवार के दिन मध्यमा उंगली में धारण करे, तो शनि की साढ़े साती का असर कमजोर पड़ता है.
* शनिवार के दिन व्रत रखते हुए किसी गरीब या भिखारी को काली वस्तु दान दिया जाये तो साढ़े साती की पीड़ा कम होती है.
* शनि साढ़े साती के दौरान शनिदेव की प्रसन्नता हेतु शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करना भी लाभदायक होता है.
* शनिवार के दिन शनिदेव से संबंधित वस्तुएं लोहे के बर्तन, काला कपड़ा, सरसों का तेल, चमड़े के जूते, काजल, काला चना, काला तिल, काले उड़द की साबूत दाल आदि दान करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं.
* घर पर शनिवार के दिन नीलम अथवा नीले पत्थर से निर्मित हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें, और नियमित मूर्ति के सामने बैठकर ‘ऊँ हूम हनुमंतै रुद्रात्मकाय हूं’ मंत्र का 108 बार जाप करें. ऐसा करने से शनि की साढ़े साती पीड़ा तकलीफ नहीं देती.