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जिला एवं सत्र न्यायालय में नेशनल लोक अदालत में निराकृत हुए कुल 2888 प्रकरण

जिला एवं सत्र न्यायालय में नेशनल लोक अदालत में निराकृत हुए कुल 2888 प्रकरण 35 करोड़ 83 लाख 55 हजार 038 रुपये का अवार्ड हुआ पारित।



जबलपुर
|जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री नवीन कुमार सक्सेना के मार्गदर्शन में जिला न्यायालय जबलपुर तहसील न्यायालय सिहोरा एवं पाटन तथा कुटम्ब न्यायालय जबलपुर में आज नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसमें प्राप्त जानकारी अनुसार कुल 2888 प्रकरणों का निराकरण करते हुए 35 करोड़ 83 लाख 55 हजार 038 रुपये का अवार्ड पारित हुआ। प्रकरणों के निराकरण के लिए कुल 67 खंडपीठों का गठन किया जाकर न्यायलयों में लंबित 1357 प्रकरणों एवं 1531 प्रीलिटिगेशन प्रकरणों का निराकरण किया गया। 

उक्त लोक अदालत में आपराधिक शमनीय प्रकृति के 130 प्रकरण, धारा 138 एन आई एक्ट के 242 प्रकरण, मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति दावा के 662 प्रकरण, विशेष विद्युत न्यायालयों में लंबित विद्युत के 147 प्रकरण, पारिवारिक मामलों के 65 प्रकरण सिविल मामलों के 56 प्रकरणों का निराकरण किया गया। 

इस लोक अदालत में धारा 138 एनआई एक्ट में 5 करोड़ 90 लाख 34 हजार 689 रुपए के समझौता राशि के निर्णय किये गये, मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति दावा के प्रकरणों में 23 करोड़ 94 लाख 10 हजार 550 रुपए के अवार्ड राशि पारित की गई। विद्युत के न्यायालयों में लंबित प्रकरणों में 32 लाख 23 हजार 926 रुपए की राजस्व वसूली हुई तथा विद्युत के प्रीलिटिगेशन के 1123 निराकृत प्रकरणों में 1 करोड़ 51 लाख 34 हजार 964 रुपए की राजस्व वसूली हुई। इसी प्रकार बैंक रिकवरी के 249 प्रीलिटिगेशन प्रकरणों में निराकरण पश्चात 1 करोड़ 77 लाख 44 हजार 700 रुपए की समझौता राशि लोक अदालत में प्राप्त हुई। 

इस लोक अदालत में निम्न प्रकरण उल्लेखनीय रहे

जिंदगी हमेशा एक सी नहीं रहती। बदलाव जीवन का नियम है। लेकिन कई बदलाव तो लोगों को सहजता से स्वीकार होते हैं और कई बदलाव के परिणामस्वरूप व्यक्ति विचलित हो जाते हैं। परिस्थितियों के बदलने पर व्यक्ति को भी अपने व्यवहार में परिवर्तन करना आवश्यक होता है। लोक अदालत के माध्यम से परिवार न्यायालय अपने इसी प्राथमिक उत्तरदायित्व का निर्वहन करता है। यद्यपि मध्यस्थता के माध्यम से भी परिवारों को जोडऩे का तथा एकजुट करने का कार्य अपनी निरंतरता से चलता रहता है। पति-पत्नी के मध्य आपसी राजीनामे से स्वेच्छापूर्वक किये गये प्रयासों तथा न्यायालय की समझाईश से कई जोड़ों को उनके एक साथ निवास करने की स्थिति उत्पन्न हुई। लोक अदालत के चलने के दौरान न्यायालय से पक्षकारों को उनके साथ-साथ रहने के लिए जोड़ों को रवाना किया गया।

कुटुम्ब न्यायालय जबलपुर के कुल 21 मामलों में राजीनामा की कार्यवाही निष्पादित की गयी। कुटुम्ब न्यायालय के प्रकरणों के निराकरण हेतु अमिताभ मिश्रा, श्रीमती विधि सक्सेना एवं शिवकांत पांडे, प्रधान न्यायाधीशगण की कुल 3 खंडपीठों का गठन किया गया था। 

उन्नीसवें जिला न्यायाधीश श्री जीसी मिश्रा की खंडपीठ में मोटर दुर्घटना में पत्नी की मृत्यु होने से परेशान वृद्ध भीकमलाल जी काफी बीमार चल रहा था। कोरोना काल में उसकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गयी थी। दोनों पक्षों को समझाने के पश्चात राजीनामा हो गया। वृद्ध भीकमलाल का चेहरा प्रसन्नता से खिल उठा। जब उसे लगभग 12,50,000 की क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त हुई। उक्त राजीनामे में आवेदक के अधिवक्ता राजेश राय एवं बीमा कंपनी की अधिवक्ता श्रीमती अर्पणा बिज की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। 

लोकोपयोगी सेवाओं की लोक अदालत के पीठासीन अधिकारी श्री मनीष सिंह ठाकुर के समक्ष बीएसएनएल कंपनी के 6 प्रकरणों का निराकरण किया जाकर लगभग 24,600 राशि वसूली गई।

सुश्री नीलिमा देवदत्त की खंडपीठ में राशि 15 लाख की चैक बाउंस का मामला था। खंडपीठ के पीठासीन अधिकारी एवं सुलहकर्ता सदस्यों के विशेष प्रयास से उक्त प्रकरण को आपसी सुलह समझौता से निपटारा किया गया। इसके अतिरिक्त संबंधित खंडपीठ ने 100 से अधिक एनआई एक्ट के मामलों का निराकरण किया गया। 

सुश्री अंजली शाह जेएमएफसी, जबलपुर के न्यायालय में एमजेसी के एक प्रकरण में धारा 12 घरेलू हिंसा से महिलाओं को संरक्षण अधिनियम के तहत एक्ट के अंतर्गत न्यायालय में अक्टूबर 2020 से लंबित था जिसमें दोनों पक्षकार विगत एक साल से अलग-अलग निवास कर रहे थे एवं उनका एक 8 वर्ष का पुत्र था। लोक अदालत में उपस्थित होने हेतु नोटिस से पक्षकारों को सूचित कर खंडपीठ के समक्ष बुलाया गया था। खंडपीठ के पीठासीन अधिकारी एवं सुलहकर्ता सदस्यों के प्रयास से दोनों पक्ष साथ रहने के लिए तैयार खुशी-खुशी एक साथ घर गये जिसमें उनके अभिभावकगणों के मुख पर संतोष साफ दिखाई दे रहा था।