नई दिल्ली: संघ की जुलाई बैठक अब केवल वार्षिक समीक्षा का आयोजन नहीं रही, बल्कि यह भाजपा के केंद्रीय निर्णयों का सूत्रधार बनती जा रही है। आगामी बैठक में भाजपा के नए अध्यक्ष के चयन को लेकर मंथन संभावित है, जो स्वयंसेवक राजनीति के लिए एक निर्णायक मोड़ सिद्ध हो सकता है।
नड्डा की पारी समाप्ति की ओर है और भाजपा नेतृत्व अब ऐसे व्यक्ति की तलाश में है जो संगठनात्मक अनुशासन, वैचारिक अनुरूपता और चुनावी चुनौतियों का सामंजस्य बिठा सके। संघ की सहमति के बिना यह चयन असंभव है, यह अतीत ने प्रमाणित किया है।
संघ के वैचारिक विस्तार, प्रशिक्षण मॉड्यूल, और आगामी विधानसभा चुनावों पर चर्चा, इस बैठक को केवल संगठन तक सीमित नहीं रखेगी बल्कि सामाजिक ध्रुवीकरण और हिन्दू सम्मेलन जैसे प्रसंग भी अहम रहेंगे।