तुर्किये ने जिस समय अपनी मिसाइल क्षमता बढ़ाने की घोषणा की है, वह महज़ सैन्य फैसला नहीं माना जा सकता। यह ईरान-इस्राइल टकराव की पृष्ठभूमि में एक रणनीतिक बयान है।
राष्ट्रपति एर्दोआन का जोर इस बात पर है कि तुर्किये की सुरक्षा ऐसी हो कि कोई शत्रु साहस न कर सके। पर विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला घरेलू राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संवाद दोनों में असर डालने की मंशा से प्रेरित है।
ईरान से आयातित ऊर्जा और संभावित शरणार्थी संकट को लेकर तुर्किये की चिंता जायज है, पर यह सवाल भी बना हुआ है कि क्या यह कदम तुर्किये को हथियारों की नई दौड़ में धकेलेगा?

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तुर्किये की मिसाइल तैयारी: रणनीतिक संदेश या राजनीतिक गणित?