जबलपुर। ऋतुराज विश्वकर्मा। उम्र 36 साल। BBA पास। और 9 महीने से अपने किराए के मकान में छाप रहा था देश की नकली करेंसी।
फुल प्रूफ सेटअप: कलर प्रिंटर, डिज़ाइनिंग लैपटॉप, विकिपीडिया का ज्ञान, और एक भरोसेमंद डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क। कब्रिस्तान के पास से जैसे ही उसके आदमी पकड़े गए, पूरा नकली ‘स्टार्टअप’ ध्वस्त हो गया।
अब पुलिस पूछ रही है – 'कितनों को दिए नोट?' और ऋतुराज अब चुप है, क्योंकि इस बार मामला छोटा नहीं, नोटबंदी के बाद की सबसे बड़ी नकली करेंसी खेप में से एक है।

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