परीक्षा में बहुत ही मददगार है ये अच्छे नंबर के लिए साधारण वास्तु उपाय - Jai Bharat Express

Jai Bharat Express

Jaibharatexpress.com@gmail.com

Breaking

परीक्षा में बहुत ही मददगार है ये अच्छे नंबर के लिए साधारण वास्तु उपाय

कहां और कैसा हो आपका अध्ययन कक्ष? बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए अभिभावक हमेशा अच्छी से अच्छी सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास करते हैं। उनकी इच्छा होती है कि उनका बच्चा जीवन की दौड़ में सबसे आगे रहे , इसलिए वह इस मामले में कोई कमी नहीं छोड़ते। कई बार बच्चों के कठिन परिश्रम के बाद भी उन्हें अपेक्षित परिणाम नहीं मिलता। इससे यह सवाल उठता है कि आखिर कमी कहां रह गई?
 इसमें वास्तु का भी बहुत योगदान माना गया है। वास्तु के अनुसार अध्ययन कक्षा (स्टडी रूम) का अध्ययन की दृष्टि से पूर्व तथा उत्तर-पूर्व दिशा का कमरा सर्वोत्तम होता है। यदि बच्चा उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पढऩे बैठेगा , तो परिणाम बेहतर होंगे। पूर्व दिशा की ओर ध्यान करना अच्छी सोच व ज्ञान का सोत माना जाता है। पढ़ते समय यदि बच्चा उत्तर की ओर मुंह करके बैठे, तो सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और पढ़ाई में ध्यान लगता है।
वर्तमान समय प्रतियोगिता का युग है, प्रत्येक कार्य श्रेष्ठ ही नहीं वरना सर्वश्रेष्ठ चाहिए। ऐसी स्थिति में अभिभावक एवं आमजन के मन में प्रश्न उठता है कि मकान में किस स्थान पर बैठने पर अध्ययन करना चाहिए तो सर्वश्रेष्ठ सफलता मिले। वास्तु में मकान में सर्वश्रेष्ठ, सर्वोत्तम, पवित्र कोण, ईशान कोण होता है। जहां पर भगवान का निवास रहता है। अत पढऩे वाले विद्यार्थी को ईशान कोण (उत्तर पूर्व का कोना) की ओर मुंह करके पढऩा चाहिए। अध्ययन कक्ष के पश्चिम-मध्य क्षेत्र में बनाना अति लाभप्रद है। इस दिशा में बुध, गुरु, चंद्र एवं शुक्रचार ग्रहों से उत्तम प्रभाव प्राप्त होता है। इस दिशा के कक्ष में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को बुध ग्रह से बुद्धि वृद्धि, गुरु ग्रह से महत्वाकांक्षा एवं जिज्ञासु? विचारों में वृद्धि, चंद्र ग्रह से नवीन विचारों की वृद्धि और शुक्र ग्रह से प्रतिभा एवं लेखन कला में निपुणता और धन वृद्धि होती है।
अच्छे नंबर के लिए साधारण वास्तु उपाय-
पढ़ाई की मेज पर प्लास्टिक का पिरामिड तथा ग्लोब रखना चाहिए। ग्लोब को रोज घुमाना चाहिए , इससे दुनिया के प्रति मित्रता का भाव पैदा होता है।
बुध, गुरु, शुक्र एवं चंद्र चार ग्रहों के प्रभाव वाली पश्चिम-मध्य दिशा में अध्ययन कक्ष का निर्माण करने से अति लाभदायक सिद्ध होती है।
टेबल पूर्व-उत्तर ईशान या पश्चिम में रहना चाहिए। दक्षिण आग्नेय व उत्तर-वायव्य में नहीं होना चाहिए।
कक्ष में शौचालय कदापि नहीं बनाएं।
खिड़की या रोशनदान पूर्व-उत्तर या पश्चिम में होना अति उत्तम माना गया है। दक्षिण में यथा संभव न ही रखें।
प्रवेश द्वार पूर्व-उत्तर, मध्य या पश्चिम में रहना चाहिए।
पुस्तकें रखने की अलमारी या रैक उत्तर दिशा की दीवार से लगी होना चाहिए।
पानी रखने की जगह, मंदिर, एवं घड़ी उत्तर या पूर्व दिशा में उपयुक्त होती है।
टेबिल गोलाकार या अंडाकार की जगह आयताकार हो।
टेबल के टॉप का रंग सफेद दूधिया हो। टेबल पर अध्ययन करते समय आवश्यक पुस्तक ही रखें।
कक्ष में बंद घड़ी, टूटे-फूटे बेकार पेन, धारदार चाकू, हथियार व औजार न रखें।
कम्प्यूटर टेबिल पूर्व मध्य या उत्तर मध्य में रखें, ईशान में कदापि न रखे।
अक्सर छात्रों की मेज के ऊपर रैक बनी होती है , जो बेहद हानिकारक होती है। इससे सिर पर बोझ महसूस होता है।
विद्यार्थी का बेड दक्षिण-पश्चिम/उत्तर पश्चिम कोने में होना चाहिए। सोते समय छात्र का बेड दक्षिण पूर्व दिशा में हो।
यह आवश्यक है कि छात्र का बेड बिल्कुल कमरे के दरवाजे के सामने न हो।
इन बातों का भी रखें ख्याल-
यदि जलपान, नाश्ता किया हो तो झूठे पात्र, बर्तन, प्लेट आदि को तुरंत हटा देना चाहिए।
पढ़ाई की मेज पर पानी से भरा गिलास जरूर रखना चाहिए। पानी वातावरण की सारी निषेधात्मक तरंगों को सोख लेता है।
कक्ष में केवल ध्यान, अध्यात्म वाचन, चर्चा एवं अध्ययन ही करना चाहिए। गपशप, भोग-विलास की चर्चा एवं अश्लील हरकतें नहीं करना चाहिए।
कक्ष में जूते-चप्पल, मोजे पहनकर प्रवेश नहीं करना चाहिए।
अध्ययन कक्ष में वस्तुओं का ढेर नहीं लगाना चाहिए। जिन वस्तुओं का काम न हो, उन्हें फेंकना बेहतर है।
पढ़ाई के लिए ब्रह्म मुहूर्त सबसे अच्छा-
पढऩे का समय ब्रह्म मुहूर्त (प्रात काल), सूर्योदय से पूर्व अर्थात सुबह 4.30 बजे से प्रथम प्रहर सुबह 10 बजे तक उत्तम रहता है। अधिक देर रात पढऩा उचित नहीं है। अध्ययन कक्ष के मंदिर में सुबह-शाम चंदन की अगरबत्तियां लगाना न भूलें।
कक्ष में हल्के रंगों का प्रयोग- अध्ययन कक्ष की दीवारों का रंग हल्का पीला, सफेद या किसी भी हल्के रंग का होना चाहिए। बिस्तर या पर्दे के रंग खिलते हुए होने चाहिए। संयोजन सफेद, बादामी, पिंक, आसमानी या हल्का फिरोजी रंग दीवारों पर या टेबल-फर्नीचर पर अच्छा है। काला, गहरा नीला रंग कक्ष में नहीं करना चाहिए। रंग-बिरंगे पेन-पेंसिल का प्रयोग बच्चे के मस्तिष्क को ऊर्जा प्रदान करता है।
मां सरस्वती का छोटा चित्र लगाएं- पढ़ाई में मन की एकाग्रता हेतु सरल, चमत्कारी टिप्स अपने अध्ययन कक्ष में मां सरस्वती का छोटा सा चित्र लगाएं व पढऩे के लिए बैठने से पूर्व उसके समक्ष कपूर का दीपक जलाएं अथवा तीन अगरबत्ती हाथ जोड़ कर जलाएं। प्रार्थना करें व पढ़ाई शुरू करें। नकारात्मक चित्रंकन वाली तस्वीर, फिल्मी तस्वीर, प्रेम प्रदर्शित तस्वीर नहीं लगाना चाहिए। कुछ अच्छे पोस्टर या महापुरुषों द्वारा कहे गए नीति वचन अध्ययन कक्ष के वातावरण को बेहतर बनाते हैं।
मीठा दही भी जरूरी- परीक्षाओं से पांच दिन पूर्व से बच्चों को मीठा दही नियमित रूप से दें। उसमें समय परिवर्तन करें। यदि एक दिन सुबह 8 बजे दही दिया है तो अगले दिन 9 बजे, उसके अगले दिन 10 बजे, उसके अगले दिन 11 बजे दें। इस क्रिया को दोहराते रहें और प्रतिदिन एक घंटा बढ़ाते रहें। पढ़ते समय विद्यार्थी का मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा में होना चाहिए।
जाप व तुलसी भी गुणकारी-विद्यार्थी सुबह उठते ही ”ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नम: का 21 बार जाप करें। जो बच्चे पढ़ते समय शीघ्र सोने लगते हैं, अथवा मन भटकने के कारण अध्ययन नहीं कर पाते उनके अध्ययन कक्ष में हरे रंग के परदे लगाएं। जिन बच्चों की स्मरण शक्ति कमजोर हो, उन्हें तुलसी के 11 पत्तों का रस मिश्री के साथ नियमित रूप से दें।
सरस्वती यंत्र की स्थापना और सरस्वती मंत्र का जप भी उत्तम अंक प्राप्त करने के लिए लाभप्रद है।
।। ऐं ह्रीं क्लीं सरस्वत्यै नम: ।।
निम्न देवी के मंत्र का जप विद्या प्राप्ति के लिए अत्यंत उत्तम है। ।। या देवि सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
गायत्री मंत्र का जप रुद्राक्ष व स्फटिक मिश्रित माला पर करना श्रेयस्कर है।
।। ओम भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यम । भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात।।
सदा याद रखें- ।। कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।- गीता।।