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14 महीने की सृष्टि को बचाने के लिए लगेगा 22 करोड़ रुपये का इंजेक्शन, पिता ने पूरे देश से लगाई मदद की गुहार

 


 बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में जिदंगी और मौत से जंग लड़ रही 14 माह की सृष्टि दुर्लभ बीमारी एसएमए टाइप वन (स्पाइनल मस्कुलर एट्राफी) से ग्रसित है। इसे बचाने के लिए स्विट्जरलैंड में नोवार्टिस कंपनी की ओर से निर्मित जोल्जेंसमा इंजेक्शन की जरूरत है। इसकी कीमत 16 करोड़ रुपये है। इसके अलावा साढ़े छह करोड़ का आयात शुल्क देना होगा। इस तरह बच्ची को कुल 22 करोड़ रुपये का इंजेक्शन लगेगा। मासूम की जान बचाने के लिए पिता ने पूरे देश से मदद की गुहार लगाई है।

सृष्टि के पिता सतीश कुमार मूलत: झारखंड के पलामू जिले के ग्राम कांके कला सिक्की के रहने वाले हैं। वे वर्तमान में छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के दीपका स्थित एसईसीएल में कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी सृष्टि का जन्म 22 नवंबर 2019 को हुआ। चार-पांच महीने तक सब सामान्य रहा। इसके बाद अचानक सृष्टि के हाथ-पैर ने काम करना बंद कर दिया। जांच के बाद डाक्टर ने बताया कि गर्दन सही तरीके से काम नहीं कर रहा है। इलाज के लिए किसी बड़े विशेषज्ञ को दिखाने की सलाह दी। इस पर उन्होंने जून 2020 में रायपुर में न्यूरोलाजिस्ट से जांच कराई। वहां भी समस्या का पता नहीं चला। कई विशेषज्ञों को दिखाने के बाद भी सृष्टि की बीमारी पकड़ में नहीं आई। इधर उसकी हालत बिगड़ती गई। दिसम्बर में उसे वेल्लूर (तमिलनाडु) ले जाया गया। जहां एसएमए टाइप वन टेस्ट किया गया। इसकी रिपोर्ट आने में समय लगता है। इस बीच 30 दिसंबर को सृष्टि की तबीयत बिगड़ गई। दूसरे दिन अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। बच्ची को वेंटिलेटर में रखा गया। 23 जनवरी को वेल्लूर से मिली रिपोर्ट में सृष्टि के एसएमए टाइप वन से ग्रसित होने की पुष्टि हुई। यह दुर्लभ बीमारी है। इसे बचाने के लिए जोल्जेंसमा इंजेक्शन चाहिए। इसकी कीमत 16 करोड़ है।

अपोलो के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. सुशील कुमार ने बताया कि स्विट्जरलैंड की नोवार्टिस कंपनी जोल्जेंसमा इंजेक्शन बनाती है। जीन थैरेपी मेडिकल जगत में एक बड़ी खोज है। इसकी एक डोज से पीढियों तक पहुंचने वाली जानलेवा जेनेटिक बीमारी को ठीक किया जा सकता है। निर्माता कंपनी नोवार्टिस ने इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ रुपये रखी है।

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी के लिए जिम्मेदार जीन शरीर में तंत्रिका तंत्र के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक प्रोटीन के निर्माण को बाधित कर देता है। इसकी वजह से तंत्रिका तंत्र नष्ट हो जाता है। इस बीमारी की वजह से शरीर की सभी मासपेशियां सिकुड़ने लगती हैं। हाथ पैर-काम करना बंद कर देता है।

अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डा. सुशील कुमार ने बताया कि सृष्टि दुर्लभ बीमारी एसएमए टाइप वन से ग्रसित है। उसे बचाने के लिए 16 करोड़ के एक इंजेक्शन की आवश्यकता है। बीमारी में धीरे-धीरे पूरे शरीर की मांसपेशी ढीली हो जाता है और मौत हो जाती है।