दिल्ली। देश की न्यायिक प्रणाली पर एक बार फिर तीखे सवाल खड़े हो गए हैं। कथित कैश कांड में आरोपी बनाए गए जस्टिस यशवंत वर्मा ने तत्कालीन सीजेआई खन्ना को भेजे पत्र में यह कहते हुए इस्तीफा देने से मना कर दिया है कि उन्हें न्याय की बुनियादी प्रक्रिया से ही वंचित कर दिया गया।
वर्मा ने इन-हाउस जांच समिति द्वारा उन्हें दोषी ठहराने की प्रक्रिया को ‘एकतरफा’ और ‘पूर्वनियत’ बताया। उन्होंने इस प्रक्रिया की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल उठाए हैं।
क्या भारत की न्यायिक प्रणाली अब इतनी संवेदनशील है कि पक्ष रखने का अधिकार भी छीन लिया जाए?