नहीं रहे संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज: चन्द्रगिरि तीर्थ में तीन दिन उपवास के बाद शरीर त्यागा देखिए इस Video मे - Jai Bharat Express

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नहीं रहे संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज: चन्द्रगिरि तीर्थ में तीन दिन उपवास के बाद शरीर त्यागा देखिए इस Video मे

नहीं रहे संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज: चन्द्रगिरि तीर्थ में तीन दिन उपवास के बाद शरीर त्यागा देखिए इस Video मे





रायपुर |Aacharya VidhyaSagar Ji Maharaj Samadhi Maran: पूरे जैन समाज के लिए आज का दिन सबसे दुखद दिन है....समाज के वर्तमान के महावीर कहे जाने वाले आचार्य विद्यासागर महाराज ने देह त्याग दी और पूरी विधि के साथ समाधि ली. बता दें कि रात 2.35 बजे उनकी देह इस संसार को छोड़ चुकी थी. वह आचार्य ज्ञानसागर के शिष्य थे. जब आचार्य ज्ञानसागर ने समाधि ली थी तब उन्होंने अपना आचार्य पद मुनि विद्यासागर को सौंप दिया था. ऐसे में मुनि विद्यासागर महज 26 वर्ष की उम्र में ही 22 नवंबर 1972 में आचार्य हो गए थे।


छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में जैन समाज के रत्न आचार्य विद्यासागर महाराज का दिगंबर मुनि परंपरा से समाधि पूर्वक मरण हो गया. आचार्य विद्यासागर ने 3 दिन पहले ही समाधि मरण की प्रक्रिया को शुरू कर पूर्ण रूप से अन्न-जल का त्याग कर दिया था और अखंड मौन व्रत ले लिया था. उनका जन्म कर्नाटक के सदलगा गांव में 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था।



कर्नाटक में हुआ था जन्म


आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म कर्नाटक के बेलगांव के सदलगा गांव में 1946 में शरद पूर्णिमा के दिन 10 अक्टूबर को हुआ था. आचार्य विद्यासागर महाराज के 3 भाई और दो बहनें हैं. तीनों भाई में से 2 भाई आज मुनि हैं और भाई महावीर प्रसाद भी धर्म कार्य में लगे हुए हैं. आचार्य विद्यासागर महाराज की बहने स्वर्णा और सुवर्णा ने भी उनसे ही ब्रह्मचर्य लिया था. बता दें कि आचार्य विद्यासागर महाराज अबतक 500 से ज्यादा दिक्षा दे चुके हैं. हाल ही में 11 फरवरी को आचार्य विद्यासागर महाराज को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में उन्हें ब्रह्मांड के देवता के रूप में सम्मानित किया।


कौन हैं अगला आचार्य


ठीक इसी तरह आचार्य विद्यासागर महाराज ने भी तीन पहले ही अपने आचार्य पद का त्याग किया और अपना आचार्य पद उनके पहले मुनि शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि श्री समयसागर को सौंप दिया. बताया जा रहा है कि 6 फरवरी को ही उन्होंने मुनि समयसागर और मुनि योगसागर को एकांत में बुलाकर अपनी जिम्मेदारियां उन्हें सौंप दी थी. बता दें कि ये दोनों मुनि समयसागर और योगसागर उनके ग्रहस्थ जीवन के सगे भाई हैं।